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आइएनए का कोष पाकिस्तान के साथ बांटने को राजी था भारत

नेताजी से जुड़ी गोपनीय फाइलों में इस बात का जिक्र है कि एनआइए के कोष को भारत 1953 में पाक के साथ बांटने को राजी हो गया था।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Tue, 30 Aug 2016 10:36 PM (IST)Updated: Wed, 31 Aug 2016 09:28 AM (IST)
आइएनए का कोष पाकिस्तान के साथ बांटने को राजी था भारत

नई दिल्ली, प्रेट्र : भारत 1953 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज (आइएनए) और भारतीय स्वतंत्रता लीग (आइआइएल) के कोष को पाकिस्तान के साथ बांटने के लिए राजी हो गया था। नेताजी से जुड़ी गोपनीय फाइलों में इसका जिक्र है।

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संस्कृति सचिव एनके सिन्हा ने मंगलवार को 25 गोपनीय फाइलों का सातवां सेट ऑनलाइन जारी किया। 1951 से 2006 के बीच की यह फाइलें विदेश मंत्रालय से संबंधित हैं। 18 अक्टूबर, 1953 को पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री बीसी रॉय को लिखे पत्र के साथ संलग्न एक नोट से उक्त जानकारी मिली है।

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पश्चिम बंगाल की विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित करके केंद्र सरकार से निवेदन किया था कि वह नेताजी और उनकी आजाद हिंद सरकार के छोड़े गए कोष की जांच के लिए कदम उठाए। नेहरू इसी प्रस्ताव का जवाब दे रहे थे। नोट के मुताबिक, 'दूरस्थ पूर्व में अंतिम युद्ध खत्म होने के ठीक बाद दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में आइएनए और आइआइएल के अधिकारियों और उनसे जुड़े लोगों के पास से कुछ मात्रा में सोना, गहने और अन्य कीमती चीजें जब्त की गई थीं।'

इन संपत्तियों को कस्टोडियन ऑफ प्रॉपर्टी ने सिंगापुर में रखा था। 1950 में सिंगापुर सरकार की ओर से मुहैया कराई गई जानकारी के मुताबिक इन संपत्तियों का मूल्य 1,47,163 स्ट्रेट्स डॉलर था। नोट के मुताबिक, पुनर्मूल्यांकन के कारण संपत्तियों का सही मूल्य आंकना मुश्किल था। इसके एक हिस्से पर पाकिस्तान के दावा करने कारण उसके साथ लंबी वार्ता हुई थी। आखिर में इस बात पर सहमति बनी कि भारत और पाकिस्तान के बीच इन संपत्तियों का बंटवारा 2-1 के अनुपात होना चाहिए।

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