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दुश्मनों पर नजर रखने के लिए सबमरीन 'कल्वरी' की टेस्टिंग शुरू

सबमरीन के जरिए दुश्मन देशों पर नजर रखने के लिए कल्वरी को मुंबई के समंदर में टेस्टिंग के लिए उतार दिया गया है। बताया जा रहा है नौसेना को इससे और ताकत मिलेगी।

By Lalit RaiEdited By: Published: Mon, 02 May 2016 12:03 PM (IST)Updated: Mon, 02 May 2016 03:46 PM (IST)

नई दिल्ली(एएनआई)। नौसेना की स्कार्पीन कैटेगरी की छह सबमरीन में से पहली, आईएनएस कल्वरी मुंबई के समंदर में टेस्टिंग के लिए रवाना हो गई। समंदर के रास्ते चीन और पाकिस्तान पर नजर रखने के लिए कल्वरी अहम साबित होगी। हालांकि कल्वरी पर हैवीवेट टॉरपीडो को नहीं ले जाया सकता। सितंबर के अंत तक इसके नेवी में शामिल होने की संभावना है।

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कल्वरी में क्या है खास

1. डीजल-इलेक्ट्रिक पावर से चलने वाली कल्वरी लंबाई 66 मीटर है।
2. कल्वरी रविवार को मुंबई तट से रवाना हुई।
3, पिछले साल 2015 में रक्षा मंत्री की मौजूदगी में मझगांव डॉकयार्ड में इसे समंदर में उतारा गया था।

4. नेवी के मुताबिक ये अक्टूबर 2005 में डिफेंस मिनिस्ट्री की ओर से फ्रांस की कंपनी डीसीएनएस के साथ किए गए 3.6 अरब डॉलर (लगभग 19.92 करोड़ रुपए) के करार का हिस्सा है।
5. इस कैटेगरी की पांच और सबमरीन डीसीएनएस के सहयोग से भारत में बनाई जा रहीं हैं।
6. भारत इनके बाद दो और सबमरीन को शामिल करने की कोशिश करेगा। भारतीय नौसेना के पास अभी 14 सबमरीन हैं।


सबमरीन की क्यों है जरूरत ?

1.पाकिस्तान, चीन की तरफ से खतरे को देखते हुए भारत के पास मॉडर्न सबमरीन होना जरूरी है।
2.कल्वरी एंटी शिप मिसाइल SM-39 दागने में कैपेबल है।
3. हालांकि कल्वरी में भारी टॉरपीडो (सबमरीन से मार करने वाली मिसाइल) को नहीं ले जाया सकता।

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