हवा में ईंधन भरने वाले 6 विमानों की खरीद पर भारत की नजर
भारत अपनी हवाई क्षमता में सुधार करने के लिए हवा में ईंधन भरने वाले 6 एयरक्राफ्ट और टैंकर खरीदने की योजना बना रहा है।
नई दिल्ली। भारत अपने लड़ाकू जेट विमानों, बॉम्बर्स और टोही विमानों की पहुंच बढ़ाने के लिए अब हवा में ईंधन भरने वाले 6 विमानों (एफआरए) को खरीदने की 'सीधी रणनीतिक' योजना पर काम कर रहा है। पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय से वैश्विक निविदाओं के माध्यम से इन विमानों को खरीदने के लिए दो बार बोली विफल रही है।
नतीजतन, रक्षा मंत्रालय ने छह एयरबस -330 MRTT (मल्टी रोल टैंकर ट्रांसपोर्ट) विमानों के अधिग्रहण के लिए प्रस्तावित 9000 करोड़ का करार खत्म कर दिया, जो उच्च लागत के साथ-साथ सीबीआई मामलों और निर्माता समूह का नाम ईएडीएस कैसिडियन से एयरबस होने के कारण कई वर्षों से लटका पड़ा था।
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एक अंग्रेजी अखबार के अनुसार, "एयरबस ने जून के अंत में आरपीएफ (रिकवेस्ट फॉर प्रपोजल या टेंडर) वापस ले ली थी, जिसके तहत ए-330 एमआरटीटी के रूप में एल-1 (सबसे कम बोली लगाने) का चयन किया गया था। अब भारतीय वायुसेना के परिचालन के लिए एक महत्वपूर्ण आवश्यकता वाले एफआरए के प्रत्यक्ष अधिग्रहण पर निर्णय लिया जाएगा। "
वहीं, भारत-फ्रांस के बीच 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के मुद्दे पर बातचीत आखिरी दौर पर पहुंच गई है। बता दें कि, भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए पिछले वर्ष पेरिस में एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। राफेल करार की कीमत में कमी लाने के लिए भारत लगाता फ्रांस से बातचीत कर रहा है। इससे पहले भारत ने 126 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के पहले हो चुके सौदे को भारी-भरकम लागत की वजह से रद्द करते हुए केवल 36 फ्रांसीसी विमान खरीदने का फैसला किया।
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2003-04 में वायुसेना द्वारा हवा में ईंधन भरने वाले 6 IIyushin-78 एयरक्राफ्ट खरीदने के बाद 2006 में वायुसेना ने पहली बार 6 अतिरिक्त टैंकरों को खरीदने की मांग की थी। चीन पर नजर बनाए रखने के लिए छह नए टैंकरों को पानागढ़ (पश्चिम बंगाल) में तैनात किया गया था।