कश्मीर में 6 हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट को भारत की अनुमति
कश्मीहर में हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट के लिए भारत ने अनुमति दे दी है। इस माह के अंत में लाहौर में जल संधि बैठक आयोजित की जाएगी जिसमें भारत हिस्साअ लेगा।
नई दिल्ली (जेएनएन)। पाकिस्तान की ओर प्रवाहित होने वाली नदियों पर पावर स्टेशन से अवरोध पैदा होने की पाक की चेतावनी के बावजूद भारत ने हाल ही में कश्मीर में 15 बिलियन डॉलर लागत वाले हाइड्रोप्रोजेक्ट को हरी झंडी दिखा दिखा दिया है।
सशर्त जलमार्ग बंटवारा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल सुझाव दिया था कि जलमार्ग बंटवारा सशर्त हो सकता है, और शर्त यह है कि पाकिस्तान में भारत विरोधी आतंकवादियों को शरण न दिया जाए। इसके बाद ही सालों से लंबित पड़े प्रोजेक्ट पर अनुमति की मुहर लगायी गयी।
भारत ने किया संधि का उल्लंघन
पाकिस्तान ने यह कहते हुए पहले भी कुछ ऐसे प्रोजेक्ट का विरोध किया कि सिंधु व सहायक नदियों के बंटवारे पर वर्ल्ड बैंक मध्यस्थता वाली संधि का उल्लंघन किया गया है, जिसपर 80 फीसद कृषि निर्भर है। इस योजना में शामिल सबसे बड़ा प्लांट 1856 मेगावाट वाले ‘सावलकोट प्लांट’ को पूरा होने में सालों का समय लग जाएगा।
आतंकी गतिविधियों से पाक का इंकार
दूसरी ओर कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में शामिल होने से पाकिस्तान ने इंकार किया है और भारत से क्षेत्र के भविष्य के निर्णय के लिए अपने आग्रह को दोहराया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता, नफीस जकारिया ने इसे तकनीकी मामला बताते हुए कहा कि प्रस्तावित भारतीय प्रोजेक्ट पर वे जल संसाधन व उर्जा मंत्रालय के साथ बात करेंगे। उन्होंने कहा कि इस माह लाहौर में सिंधु आयोग की नियमित बैठक में भारत शामिल होगा। जकारिया ने बताया, ‘ऐसा लग रहा है कि सिंधु व सहायक नदियों संबंधित विवादों के समाधान के लिए अंतत: भारत ने सिंधु जल संधि के तहत सभी गतिविधियों के महत्व को समझ लिया है।‘
बढ़ेगी हाइड्रोपावर की क्षमता
भारत के जल संसाधन मंत्रालय और केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के दो अधिकारियों ने बताया, पिछले तीन माह में कश्मीर में छह हाइड्रोप्रोजेक्ट ने या तो व्यवहार्यता परीक्षण उतीर्ण किया या अधिक उन्नत पर्यावरण और वन विशेषज्ञ की मंजूरी ली। सिंधु की सहायक नदी चिनाब पर इन प्रोजेक्ट से जम्मू कश्मीर में हाइड्रोपावर की क्षमता तीन गुना हो जाएगी जो वर्तमान में 3,000 मेगावाट है। वाटर रिर्सोसेज मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘पिछले 50 सालों में हमने उसकी क्षमता का मात्र छठे हिस्से के बराबर ही विकास किया। पाकिस्तान में जलवायु परिवर्तन, जनसंख्या में बढ़ोतरी और खेती के पुराने तकनीक के कारण वहां का जल प्रवाह घट रहा है।‘
इन प्रोजेक्ट के सामूहिक प्रभाव से भारत को पर्याप्त जल भंडारण की क्षमता मिल सकती है जिससे महत्वपूर्ण मौके पर पाकिस्तान को आपूर्ति सीमित किया जा सकता है। सिंधु जल संधि पर बैठक के दौरान मोदी ने कहा था कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते हैं। गत सितंबर माह में पाकिस्तानी आतंकियों ने कश्मीर पर हमला किया था। सावलकोट, क्वार, पाकल दुल, बरसर और किरथइ I और II को हाल के महीनों में तकनीकी तौर पर अनुमति दी गयी है।