पीएम मोदी की रूस यात्रा से पहले दोनों देशों में गैस पाइपलाइन पर होगी बात
भारत और रूस के बीच गैस पाइपलाइन बिछाने को लेकर दोनों देशों के बीच आगे बढ़ सकती है। जून में होने वाली पीएम मोदी की रूस यात्रा के दौरान भी इस बाबत बात होगी।
नई दिल्ली (जयप्रकाश रंजन)। क्या सुदूर रूस के अंदरुनी हिस्से से गैस पाइपलाइन भारत तक बिछाई जा सकती है? अभी तक इस बारे में भारत और रूस के संबंधित अधिकारियों के बीच जो वार्ता हुई है उसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि इसकी संभावना पहले से मजबूत हुई है। अब यह संभावना जमीन पर उतारी जा सकती है या नहीं इस पर दोनों देशों के आला अधिकारियों की अगले महीने अहम बैठक होगी। यह बैठक पीएम नरेंद्र मोदी की जून के पहले हफ्ते में होने वाली रूस यात्रा की तैयारियों को लेकर होगी।
भारत और रूस ने गैस पाइपलाइन पर पहली बार 2013 में बात हुई थी। मार्च, 2016 और ब्रिक्स बैठक के दौरान अक्टूबर, 2016 में भी उच्चस्तर पर गैस पाइपलाइन को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया गया। गैस पाइपलाइन परियोजना को लागू करने को ले कर जो तकनीकी उपसमितियां बनी थी उसकी रिपोर्ट दोनों देशों के पेट्रोलियम मंत्रालयों को सौंपी गई है। पेट्रोलियम मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक पिछले छह महीने के दौरान गैस पाइपलाइन पर कई स्तरों पर बात हुई है और हम यह पक्का तौर पर कह सकते हैं कि यह परियोजना संभव है। लेकिन अब यह कीमतों, कूटनीतिक रिश्तों, पाइपलाइन के रास्ते पर फैसला करना होगा।
रूस और भारत के बीच के फासले को देखते हुए पाइपलाइन की लागत बहुत ज्यादा होने के आसार हैं, इसका असर कीमत पर पड़ सकता है। बताते चलें कि सोमवार को पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने एक सेमिनार में यह बात कही है कि, अगर विदेश से भारत तक गैस लाने की पूरी लागत 5 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू (गैस मापने का मापक) हो तो भारत में उसका उपभोग हो सकता है। देखना होगा कि भारत और रूस के रणनीतिकार इस प्रस्तावित गैस पाइपलाइन से आने वाली गैस की कीमत इस स्तर से नीचे रख पाते हैं या नहीं।
सूत्रों के मुताबिक भारत के लिए एक बड़ी दिक्कत परियोजना के लिए संभावित रूट का चयन है। रूस की तरफ से यह प्रस्ताव है कि चीन के लिए जो पाइपलाइन बिछाई गई है उसे ही भारत तक बढ़ा दिया जाए। लेकिन कूटनीतिक वजहों और चीन के लगातार तल्ख हो रहे तेवर को देखते हुए भारत के लिए इस पर तैयार होना फिलहाल संभव नहीं दिख रहा। ऐसे में भारत ने ईरान के चाबहार बंदरगाह तक गैस पहुंचाने का विकल्प दिया है।
भारत यह बंदरगाह विकसित कर रहा है और यहां कई उर्वरक व रसायन संयंत्र स्थापित करने की मंशा रखता है। इन संयंत्रों को रूस से लाई गई गैस दी जा सकती है। चाबहार तक गैस पाइपलाइन लाने का एक फायदा यह है कि भारत वहां से जहाज से गैस गुजरात स्थित एलएनजी टर्मिनल तक आसानी से ला सकता है।
कई और देशों से भी हुई है बात
बताते चलें कि भारत ने सबसे पहले ओमान से गैस पाइपलाइन भारत तक बिछाने की संभावना पर अध्ययन करवाया था। अध्ययन की रिपोर्ट में इसे संभव नहीं बताया गया। इसके बाद ईरान से पाकिस्तान होते हुए गैस पाइपलाइन बिछाने पर पर कई वर्षो तक बात हुई और अंतत अमेरिकी दवाब में इसे ठंडे बस्ते में डालना पड़ा। इसके बाद तुर्केमिनिस्तान से अफगानिस्तान, पाकिस्तान होते हुए भारत-पाक बोर्डर तक गैस पाइपलाइन लाने पर बात अभी चल ही रही है। सभी देशों के शीर्ष नेताओं की अध्यक्षता में कई बार चर्चा हुई है। लेकिन अभी तक कोई कंपनी इस पाइपलाइन को बिछाने के लिए तैयार नहीं हो पाई है। इसकी वजह से इस परियोजना को लेकर भी संशय बना हुआ है।