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न छीनें न्यायपालिका की आजादी: चीफ जस्टिस

शीर्ष न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति के लिए कोलेजियम प्रणाली को खत्म करने पर पूर्व में नाराजगी जाहिर कर चुके भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस आरएम लोढ़ा ने इसको लेकर शनिवार को सरकार पर परोक्ष हमला बोला। संसद द्वारा पारित राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक से खफा दिखे जस्टिस लोढ़ा ने एक बार फिर न्यायप

By Edited By: Published: Sun, 14 Sep 2014 05:37 AM (IST)Updated: Sun, 14 Sep 2014 08:24 AM (IST)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। शीर्ष न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति के लिए कोलेजियम प्रणाली को खत्म करने पर पूर्व में नाराजगी जाहिर कर चुके भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस आरएम लोढ़ा ने इसको लेकर शनिवार को सरकार पर परोक्ष हमला बोला। संसद द्वारा पारित राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक से खफा दिखे जस्टिस लोढ़ा ने एक बार फिर न्यायपालिका की आजादी की अहमियत को रेखांकित किया है। मुख्य न्यायाधीश ने साफ कर दिया कि न्यायपालिका की आजादी के साथ कोई समझौता नहीं हो सकता और ऐसी कोशिशों को ध्वस्त करने की अंतर्निहित ताकत न्यायिक प्रणाली में है। इशारों में ही उन्होंने सरकार को सचेत कर दिया कि वह न्यायपालिका आजादी छीनने की कोशिश से बाज आए। जस्टिस लोढ़ा 27 सितंबर को सेवानिवृत हो रहे हैं।

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जस्टिस लोढ़ा शनिवार को बार कौंसिल ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। वैसे तो मुख्य न्यायाधीश ने कोलेजियम प्रणाली खत्म कर न्यायपालिका को जवाबदेह बनाने के लिए संसद से पास कानून का सीधे तौर पर कोई जिक्र नहीं किया। लेकिन उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में इतना तक कह दिया कि न्यायपालिका की आजादी छीनने की कोई भी कोशिश सफल नहीं होगी।

जस्टिस लोढ़ा के अनुसार, 'स्वतंत्र न्यायपालिका होने से आम लोगों को यह भरोसा रहता है कि कार्यपालिका या किसी अन्य द्वारा अन्याय या गलत किए जाने पर कोई एक संस्था तो ऐसी जरूर है, जो उनका बचाव कर सकती है। कोर्ट से उन्हें जरूर न्याय मिलेगा।' हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में अपने 21 साल के अनुभव का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि आम लोग भी अब समझने लगे हैं कि न्यायपालिका में किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। आम जनता भी अब स्वतंत्र न्यायपालिका की जरूरत समझने लगी है।

जस्टिस लोढ़ा के बयान के बारे में पूछे जाने पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि मोदी सरकार न्यायपालिका की आजादी का पूरा सम्मान करती है और उसे बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। बार कौंसिल के सेमिनार को संबोधित करते हुए जस्टिस लोढ़ा ने न्यायिक प्रणाली से जुड़े लोगों को इसे भ्रष्टाचार मुक्त रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि आप में से कोई भी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से न्यायपालिका में रिश्वत देने की कोशिश न करे। न्यायपालिका में भ्रष्टाचार का मतलब गलत चीज को संरक्षण देना है, जो हमारे लोकतंत्र के लिए नुकसानदेह हो सकता है। उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास के इस दौर में भ्रष्टाचार भी साथ-साथ बढ़ रहा है। ऐसे में न्यायपालिका को इससे मुक्त रखना जरूरी है।

किसने, क्या-कहा:

'मैं बिल पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। लेकिन भरोसे के साथ इतना कह सकता हूं कि न्यायपालिका में इतनी ताकत है कि उसकी आजादी छीनने की कोशिशें सफल नहीं होंगी।'

-जस्टिस आरएम लोढ़ा, मुख्य न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट

'न्यायपालिका की आजादी के लिए मौजूदा सरकार प्रतिबद्ध है। यह बात मैं दावे से कह सकता हूं।'

-रविशंकर प्रसाद, कानून मंत्री

'अगर संसद ने कोई कानून बनाया है तो न्यायपालिका को इसका सम्मान करना चाहिए। लोकतंत्र का संतुलन बरकरार रखा जाना चाहिए।'

-राजीव शुक्ल, कांग्रेस नेता

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