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फंसे कर्ज व विलय की चर्चा के बीच बैंक प्रमुखों की बैठक

वित्त मंत्री यह बैठक ऐसे समय पर ले रहे हैं जब बैंकों का फंसा कर्ज मार्च 2015 में 2,67,065 करोड़ रुपये से बढ़कर दिसंबर 2015 में 3,61,731 करोड़ रुपये हो गया है।

By Atul GuptaEdited By: Published: Thu, 26 May 2016 01:31 AM (IST)Updated: Thu, 26 May 2016 01:42 AM (IST)

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। फंसे कर्ज, तिमाही-दर तिमाही भारी भरकम नुकसान और विलय की चर्चा के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली छह जून को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों के साथ बैठक करेंगे। इस बैठक में न सिर्फ बैंकों और वित्तीय संस्थाओं की प्रगति पर चर्चा की जाएगी बल्कि बैंकों को पूंजी की आवश्यकता पर भी विचार किया जाएगा। इसके अलावा सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री जन धन योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, अटल पेंशन योजना और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना की अब तक की प्रगति का जायजा भी लिया जाएगा। साथ ही मुद्रा योजना की प्रगति की समीक्षा भी की जाएगी।

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वित्त मंत्री यह बैठक ऐसे समय पर ले रहे हैं जब बैंकों का फंसा कर्ज मार्च 2015 में 2,67,065 करोड़ रुपये से बढ़कर दिसंबर 2015 में 3,61,731 करोड़ रुपये हो गया है। बैंकों के फंसे कर्ज की सकल राशि उनके द्वारा दिए गए ऋण के मुकाबले मार्च 2015 में 5.43 प्रतिशत से बढ़कर 31 दिसंबर 2015 को 7.3 प्रतिशत हो गयी है। इतना ही नहीं वित्त वर्ष 2015-16 की अंतिम तिमाही मंे सरकारी स्वामित्व वाले बैंकों को भारी भरकम 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। यह हाल तो तब है जब कुछ बैंकों के नतीजे अभी तक आने वाले हैं।

बैठक में बैंकों का पूंजी आधार बढ़ाने पर भी चर्चा की जाएगी। उल्लेखनीय है कि सरकार ने इसके लिए चालू वित्त वर्ष के आम बजट में 25000 करोड़ रुपये आवंटित भी किए हैं।

इस बीच स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के सहयोगी बैंकों के विलय की चर्चा के बीच बैंकों के विलय पर भी बैठक में विचार विमर्श होने के आसार हैं।

जेटली से मिलने पहुंचे राजन

अगले महीने मौद्रिक नीति की द्विमासिक समीक्षा से पहले अर्थव्यवस्था की स्थिति पर चर्चा के लिए रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने बुधवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात की। राजन ने वित्त मंत्री से ऐसे समय मुलाकात की है जब उनको एक और कार्यकाल का विस्तार देने की मांग हो रही है वहीं कुछ लोग उसका विरोध भी कर रहे हैं। हालांकि राजन ने इस बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ भी नहीं कहा है।

राजन से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने इस पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। हालांकि राजन ने इतना जरूर कहा कि वह अगले दो हफ्ते में पत्रकार वार्ता को संबोधित करेंगे। उनका इशारा मौद्रिक नीति की समीक्षा के बाद होने वाले संवाददाता सम्मेलन की ओर था।

उल्लेखनीय है कि द्वि-मासिक मौद्रिक नीति की समीक्षा सात जून को होगी। इस बीच आर्थिक विकास दर को बढ़ावा देने के लिए ब्याज दरों में कटौती मांग भी उठ रही है। रिजर्व बैंक ने जनवरी 2015 से अब तक रेपो दर डेढ़ प्रतिशत घटा दी है।

राजन 4 सितंबर 2013 को आरबीआइ गवर्नर बने थे। उनका कार्यकाल सितंबर में समाप्त हो रहा है। भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने उनके इस पद पर बने रहने को लेकर सवाल उठाए हैं। इस बीच राजन को दूसरा कार्यकाल देने की मांग को लेकर लोगों ने ऑनलाइन पिटीशन दायर की है जिसे अब तक 42 हजार से अधिक लोग साइन कर चुके हैं।

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