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बेनामी संपत्ति पर चलेगा सरकार का चाबुक, आयकर विभाग ने दर्ज किए 235 केस

यह कानून पिछले साल एक नवंबर से अस्तित्व में आया है। इस कानून के उल्लंघन में भारी भरकम जुर्माने और सात साल की जेल की सजा का प्रावधान है।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Thu, 23 Feb 2017 07:29 AM (IST)Updated: Thu, 23 Feb 2017 07:50 AM (IST)
बेनामी संपत्ति पर चलेगा सरकार का चाबुक, आयकर विभाग ने दर्ज किए 235 केस

नई दिल्ली, जेएनएन। नोटबंदी के बाद अब मोदी सरकार बेनामी संपत्ति पर अपना चाबुक चलाने वाली है, इस मामले को लेकर आयकर विभाग ने 235 केस दर्ज किए हैं और लगभग 55 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बारे में बेनामी संपत्ति वालों को पहले ही आगाह कर चुके थे। प्रधानमंत्री ने हाल ही में कहा था कि काले धन के खिलाफ नोटबंदी जैसा सख्त फैसला लिया गया था और अब बेनामी संपत्तियों की बारी है।

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पता हो कि यह कानून पिछले साल एक नवंबर से अस्तित्व में आया है। इस कानून के उल्लंघन में भारी भरकम जुर्माने और सात साल की जेल की सजा का प्रावधान है। आयकर विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार विभाग द्वारा फरवरी के मध्य तक इस कानून के तहत 235 मामले दर्ज किए हैं। 140 मामलों में कुर्की के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इन मामलों में 200 करोड़ रुपये की संपत्ति शामिल है।

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रिपोर्ट के मुताबिक 124 मामलों में 55 करोड़ रुपये की संपत्तियां अस्थायी तौर पर कुर्क की गई हैं। अधिकारियों ने कहा कि कुर्क की गई संपत्तियों में बैंक खातों में जमा, कृषि और अन्य जमीन, फ्लैट और आभूषण शामिल हैं। पिछले साल 8 नवंबर को नोटबंदी के बाद आयकर विभाग ने विज्ञापनों के जरिए लोगों को चेताया था कि वे पुरानी करंसी में अपना बेहिसाबी पैसा किसी अन्य के बैंक खाते में न जमा कराएं।

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इसमें कहा गया था कि इस तरह की किसी गतिविधि में बेनामी संपत्ति लेनदेन कानून, 1988 के तहत आपराधिक मामला दायर किया जाएगा। यह चल और अचल संपत्ति दोनों के लिए होगा। देश में इस कानून को लागू करने के लिए आयकर विभाग नोडल एजेंसी है।

आयकर विभाग ने देशभर में उन संदिग्ध बैंक खातों की पहचान का अभियान शुरू किया था जिनमें 8 नवंबर को नोटबंदी के ऐलान के बाद बड़ी मात्रा में कैश जमा कराए गए थे। अधिकारियों ने बताया कि बेनामी लेनदेन कानून के तहत आयकर अफसरों को जब्ती के साथ-साथ कैश जमा करने वाले और जिनका अवैध कैश है, उन दोनों पर कार्रवाई का अधिकार है।

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