कैंसर इलाज में गोमूत्र का उपयोग साबित
भारतीय वैज्ञानिकों ने कैंसर के इलाज में गोमूत्र के प्रभाव को साबित कर दिया है। कामधेनु अर्क से दवाओं का प्रभाव तो बढ़ेगा ही, शरीर की कैंसर से लड़ने की क्षमता भी बढ़ेगी..
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारतीय वैज्ञानिकों ने कैंसर के इलाज में गोमूत्र के प्रभाव को साबित कर दिया है। कामधेनु अर्क से दवाओं का प्रभाव तो बढ़ेगा ही, शरीर की कैंसर से लड़ने की क्षमता भी बढ़ेगी। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) की प्रयोगशाला ने इसका अमेरिकी पेटेंट कार्यालय से पेटेंट भी हासिल कर लिया है। उधर, केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान शोध परिषद (सीसीआरएएस) ने डायबिटीज के इलाज के लिए आयुष-82 नाम की एक नई दवा तैयार की है।
सीएसआइआर की लखनऊ स्थित प्रयोगशाला केंद्रीय औषधीय और सुगंधित पौध संस्थान (सीमैप) ने नागपुर के गो विज्ञान अनुसंधान केंद्र के साथ मिल कर गोमूत्र के उपयोग को वैज्ञानिक तरीके से साबित किया है। इसने साबित किया है कि कामधेनु अर्क कैंसर और संक्रमण रोकने वाले बायोएक्टिव मोलेक्यूल की गतिविधियों को बढ़ाने और साथ ही उनकी उपलब्धता को सुनिश्चित करने में मददगार है। गोमूत्र को खास तौर पर कैंसर रोधी प्राकृतिक एजेंट टैक्सॉल (पैक्लीटैक्सेल) को बढ़ाने में उपयोगी पाया गया है। स्तन कैंसर के सेल लाइन एमसीएफ-7 के खिलाफ पैक्लीटैक्सेल की गतिविधियों को भी बढ़ाने में इसे प्रभावी पाया गया है।
कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के मरीजों को दी जाने वाली विभिन्न एंटी बायटिक दवाओं के असर को बढ़ाने के लिए भी इसे बेहद प्रभावी पाया गया है। इस तरह महंगी और गंभीर कुप्रभावों वाली दवाओं का उपयोग कम हो जाता है। साथ ही बीमारी के लक्षण भी कम हो जाते हैं।
उधर, केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान शोध परिषद (सीसीआरएएस) की ओर से तैयार की गई डायबिटीज की दवा आयुष-82 को बाजार में लाने के लिए डाबर सहित विभिन्न निजी कंपनियों के साथ साझेदारी की जा रही है। यह दवा पांच आयुर्वेदिक औषधियों को मिला कर तैयार की गई है। वैज्ञानिक परीक्षण में इसे मधुमेह के रोगियों पर काफी प्रभावी पाया गया है।
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