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    शहीद गुरनाम के पिता बोले- पाक को सबक सिखाने के लिए हो निर्णायक जंग

    By Sachin BajpaiEdited By:
    Updated: Sun, 23 Oct 2016 11:24 AM (IST)

    24 वर्षीय गुरनाम सिंह ने 19 अक्टूबर की मध्यरात्रि को बोबिया सेक्टर में आतंकियों की घुसपैठ के एक बड़े प्रयास को विफल बना दिया था।

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    जम्मू (एएनआई)। हीरानगर की बोबिया पोस्ट पर पाकिस्तानी गोलीबारी में शहीद हुए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के कांस्टेबल गुरनाम सिंह को जम्मू में श्रद्धांजलि दी गई।जम्मू के राजकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल (जीएमसी) में दम तोड़ दिया था।

    शहीद गुरनाम सिंह की बहन ने अपने भाई के नाम पर अस्पताल बनाने की मांग की।

    गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि देश को गुरनाम सिंह की शहादत पर गर्व है।

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    24 वर्षीय गुरनाम सिंह ने 19 अक्टूबर की मध्यरात्रि को बोबिया सेक्टर में आतंकियों की घुसपैठ के एक बड़े प्रयास को विफल बना दिया था। तभी से वह पाकिस्तानी रेंजरों की आंख की किरकिरी बने हए थे। शुक्रवार को जब वह बोबियां पोस्ट पर तैनात थे तो पाकिस्तान के स्नाइपर ने उनके सिर पर गोली मार दी, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें जीएमसी के आइसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया था।

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    गुरनाम सिंह का इलाज करने वाले डॉक्टरों ने कहा कि उन्हें गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने गुरनाम सिंह को बचाने की भरपूर कोशिश की। लेकिन बीती रात उन्होंने अंतिम सांस ली।

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    शहीद गुरनाम सिंह के पिता ने कहा कि पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए अब एक निर्णायक जंग होनी चाहिए। हम कब तक इस तरह से पाकिस्तान के नापाक मंसूबों का सामना करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि गुरनाम की शहादत से हम दुखी नहीं हैं। हकीकत में हमें फक्र है कि उसने देश के लिए अपने प्राण को न्योछावर कर दिया।

    वहीं गुरनाम की बहन गुरजीत कौर ने कहा, "हमें इस बात पर गर्व है कि वह देश के लिए अपना बलिदान दिया है। सरकार से एक गुजारिश है कि वो बीएसएफ के लिए एक अलग अस्पताल बनाएं। अस्पताल मेरे माई गुरनाम के नाम पर होना चाहिए।"

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    19-20 अक्टूबर की रात गुरनाम सिंह जम्मू के हीरानगर सेक्टर के बोबिया पोस्ट पर तैनात थे. अचानक पौने बारह बजे उनकी नजर सरहद पार हो रही कुछ हलचल पर पड़ती है। करीब 100 मीटर की दूरी पर कुछ धुंधले चेहरे दिखने लगते हैं। गुरनाम अपने साथियों को अलर्ट करते हैं। ललकारने पर पता चला कि वे आतंकी हैं। फिर दोनों ओर से गोलाबारी शुरू हो गई, जिसके बाद आतंकी भाग खड़े हुए। तब तक दूसरी ओर तैनात पाकिस्तानी रेंजर्स को पता लग चुका था कि गुरनाम ही वह मुख्य सिपाही है। जिसकी वजह से उसे मुंह की खानी पड़ी।

    21 अक्टूबर को सुबह 9.45 बजे रेंजर्स ने बदला लेने के मकसद से स्नाइपर रायफल्स से उस पर फायर किया। ऐसा रायफल जिससे काफी दूर से सटीक निशाना साधा जा सकता है। गोली सीधे निशाने पर गुरनाम को लगी. इसके बावजूद गुरनाम ने हथियार नहीं डाले, बल्कि रेंजर्स पर फायरिंग करते रहे।

    गौरतलब है कि गुरनाम के घायल होने के बाद बीएसएफ ने जवाबी कार्रवाई की, जिसमें सात पाकिस्तानी रेंजर्स और एक आतंकी मारा गया। पांच साल पहले गुरनाम बीएसएफ में शामिल हुए थे। वो जम्मू के रणवीरसिंह पुरा इलाके के रहने वाले हैं। गुरनाम की दिली ख्वाहिश थी कि बीएसएफ में शामिल हो, इनके भाई और इनके बहन अपने आदर्श की तरह देखते हैं।

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