शहीदों को अनूठे अंदाज में नमन करेगी 'गंगापुत्र' की टोली
'द सी हॉक' के नाम से चर्चित यह मुंबई से मंगलोर तक की 1,000 किलोमीटर की दूरी अरब सागर में तैरकर तय करेगी।
हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। देवप्रयाग से गंगासागर का सफर गंगा नदी में तैरकर पूरा कर कीर्तिमान बनाने वाले वायु सेना के विंग कमांडर परमवीर सिंह और उनकी टीम अब एक अनूठे अंदाज में मुंबई, पठानकोट और उरी आतंकी हमले के शहीदों को नमन करने जा रही है। 'द सी हॉक' के नाम से चर्चित यह जांबाज टीम आतंकवादी हमलों में शहीद हुए जवानों की याद में मुंबई से मंगलोर तक की 1,000 किलोमीटर की दूरी अरब सागर में तैरकर तय करेगी। विंग कमांडर सिंह के नेतृत्व में यह दल लगातार 14 दिन तैरकर 10 दिसंबर को मंगलोर पहुंचेगा।
तमिलनाडु में ऊटी के निकट विलिंगडन स्थित डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज वेलिंगटन में तैनात विंग कमांडर परमवीर सिंह ने फोन पर 'दैनिक जागरण' को बताया कि आज पूरी दुनिया के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती आतंकवाद है। इसलिए उन्होंने इस समस्या के खिलाफ कड़ा संदेश देने तथा उरी, पठानकोट और मंुबई हमले मंे शहीद हुए सुरक्षाकर्मियों को श्रृद्धांजलि देने के लिए मुंबई से मंगलोर तक तैरने के महाभियान को चुना है। यह अभियान पूरा होने पर विश्व में एक कीर्ममान होगा।
'गंगापुत्र' के तौर पर चर्चित विंग कमांडर सिंह ने कहा कि उनका यह तैराकी अभियान 26 नवंबर को मुंबई के प्रसिद्ध ताज होटल के पास शुरु होकर कोंकण तट के सहारे अलीबाग, काशिद, मुरुद, गणपति पुले, रत्नागिरी, मालवान, डोना पाउला, कारवाड़ मुरुडेश्र्वर और उदुपी होते हुए 14 दिन की यात्रा कर 10 दिसंबर को मंगलोर पहुंचेगा।
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समुद्र में स्कूवा डाइवर और लंबी दूरी तक तैराकी करने वाले विंग कमांडर सिंह के नाम 10 विश्र्व रिकार्ड, तीन एशियाई रिकार्ड और सात राष्ट्रीय रिकार्ड दर्ज हैं। वह 'गंगा आह्वान' महाभियान के तहत उत्तराखंड के देवप्रयाग से पश्चिम बंगाल के फ्रेजरगंज तक का सफर तैरकर पूरा कर कीर्तमान बना चुके हैं। विंग कमांडर सिहं बताते हैं कि इस यात्रा के दौरान ही उन्हें लोगों ने 'गंगापुत्र' कहकर बुलाना शुरु किया। उनकी यह यात्रा निर्मल गंगा और स्वच्छ भारत अभियान को समर्पित थी। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल सितंबर में मन की बात कार्यक्रम में उनका जिक्र किया था।
जब उनसे पूछा कि उन्हें इस महाभियान के दौरान किस तरह की चुनौतियां आएंगी तो विंग कमांडर सिंह ने कहा कि मंुबई से मंगलोर तक तैराकी के दौरान 56 बार अरब सागर में ज्वार का सामना करना पड़ेगा। इसमें से करीब 28 बार ज्वार बिल्कुल उनके सामने आएगा। वैसे भी अरब सागर की लहरें बहुत ही ताकतवर होती हैं, खासकर रात के समय उनके थपेड़े और शक्तिशाली हो जाते हैं। इसके अलावा कोंकण तट के सहारे समुद्र में बीच बीच मंे चट्टानें भी हैं। खासकर हरनाइ पोर्ट, डपोली, मालवान और सिंधुदुर्ग के पास तैरते समय इन चट्टानों से टकराने की आशंका होती है। इसलिए इन जगहों पर संभलकर तैरना होता है।
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विंग कमांडर सिंह ने कहा कि इस मार्ग में जगह-जगह मछुआरों के जहाज तथा जेलीफिश, ईल और कभी कभी तो शार्क जैसे खतरनाक समुद्री जीव भी मिलते हैं। ऐसे में यह पूरा अभियान रोमांचकारी और साहसिक होगा।
विंग कमांडर ने बताया कि मुंबई से मंगलोर तक तैराकी के महाभियान में उनकी टीम में भारतीय वायु सेना के तीन सदस्य होंगे जबकि एक सदस्य मुंबई पुलिस तथा एक नागरिक होगा।
इससे पहले उनकी टीम गोवा से मुंबई स्विम किया 433 किलोमीटर। उनकी टीम ने यह रिकार्ड इस्रायल से छीना था। इससे पहले इतनी लंबी दूरी का रिकार्ड इस्रायल के नाम था। उनकी तैराकी यात्रा 'बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ' के लिए समर्पित थी।