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कश्मीरी सिखों ने किया हक की लड़ाई का एलान

कश्मीर में रह रहे सिख समुदाय ने सामाजिक, राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर अपनी उपेक्षा से तंग आकर बुधवार को अपने हक के लिए धर्मयुद्ध का एलान किया। इसके लिए सिख समुदाय ने जम्मू-कश्मीर सिख धर्मयुद्ध मोर्चा का गठन किया है, जो सिखों को उनके अधिकार दिलाने की लड़ाई लड़ेगा। ऑल पार्टी सिख

By Edited By: Published: Wed, 28 Aug 2013 08:31 PM (IST)Updated: Wed, 28 Aug 2013 08:31 PM (IST)
कश्मीरी सिखों ने किया हक की लड़ाई का एलान

श्रीनगर, [जागरण ब्यूरो]। कश्मीर में रह रहे सिख समुदाय ने सामाजिक, राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर अपनी उपेक्षा से तंग आकर बुधवार को अपने हक के लिए धर्मयुद्ध का एलान किया। इसके लिए सिख समुदाय ने जम्मू-कश्मीर सिख धर्मयुद्ध मोर्चा का गठन किया है, जो सिखों को उनके अधिकार दिलाने की लड़ाई लड़ेगा।

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ऑल पार्टी सिख कोऑर्डिनेशन कमेटी के चेयरमैन जगमोहन सिंह रैना ने यहां जम्मू-कश्मीर सिख धर्मयुद्ध मोर्चा के गठन का एलान किया। उन्होंने दावा किया कि कश्मीर में सिख समुदाय पूरी तरह उपेक्षित है। व्यापार, सरकारी रोजगार, विकास योजनाएं, हर जगह सिख समुदाय की भागीदारी सिर्फ नाममात्र की है। हमारा समुदाय जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यक है। कश्मीर संभाग की लगभग 50 लाख की आबादी में सिखों की आबादी मात्र 80 हजार है, जबकि जम्मू प्रांत में सवा तीन लाख। पूरे राज्य में सिख सवा चार लाख के आस-पास हैं। इसके वाबजूद हमें अल्पसंख्यक समुदाय के दर्जे से राज्य सरकार ने वंचित रखा है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह सिख समुदाय को अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा दे ताकि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक अधिनियम के तहत उन्हें रोजगार, विकास और अन्य क्षेत्रों में लाभ दिया जा सके। लेकिन राज्य सरकार ने ऐसा नहीं किया और कहा कि वह अपना अल्संख्यक कानून लाएगी। राज्य सरकार अपने अल्पसंख्यक अधिनियम के जरिये सिखों के अल्पसंख्यक दर्जे के दावे को कमजोर करते हुए कुछ नये वर्गो को अल्पसंख्यक दर्जे का लाभ देने का प्रयास कर रही है। हमारे सांस्कृतिक और मजहबी मामलों में राज्य सरकार अनावश्यक हस्तक्षेप कर रही है। भेदभावपूर्ण नीतियों से सिखों को पलायन के लिए मजबूर किया जा रहा है। लेकिन हम कश्मीर नहीं छोड़ेंगे और अपना हक लेकर रहेंगे।

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