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राज्य के बाहर शादी पर कश्मीरी लड़कियों के अधिकार छीनना गैरकानूनी

पुरुष अगर राज्य के बाहर की महिला से शादी करते हैं तो वह महिला भी राज्य की स्थायी निवासी बन जाती है और उसे राज्य में संपत्ति खरीदने से लेकर सारे हक मिलते हैं।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Fri, 28 Jul 2017 11:50 PM (IST)Updated: Fri, 28 Jul 2017 11:50 PM (IST)
राज्य के बाहर शादी पर कश्मीरी लड़कियों के अधिकार छीनना गैरकानूनी
राज्य के बाहर शादी पर कश्मीरी लड़कियों के अधिकार छीनना गैरकानूनी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कश्मीरी पंडित महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर लिंग के आधार पर भेदभाव का मुद्दा उठाया है। कश्मीरी पंडित महिलाओं ने राज्य के बाहर के युवक से शादी करने पर संपत्ति और अन्य अधिकार छीनने को भेदभावपूर्ण, गैरकानूनी और असंवैधानिक घोषित करने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सॉलीसिटर जनरल रंजीत कुमार को सरकार से निर्देश लेकर कोर्ट को सूचित करने को कहा है। कोर्ट मामले में 14 अगस्त को फिर सुनवाई करेगा।

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ये आदेश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कश्मीरी पंडित चारुवल्ली खन्ना की याचिका पर सुनवाई के बाद दिये। इससे पहले याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील बिमल जाड ने कश्मीरी पंडित महिलाओं के साथ भेदभाव का मुद्दा उठाते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में जन्म लेने और वहां की जन्मजात पुश्तैनी निवासी होने के बावजूद अगर लड़की राज्य के बाहर के व्यक्ति से शादी कर लेती है तो उसका संपत्ति में और राज्य की नौकरी आदि के सभी अधिकार खत्म हो जाते हैं जबकि पुरुषों के साथ ऐसा नहीं है।

पुरुष अगर राज्य के बाहर की महिला से शादी करते हैं तो वह महिला भी राज्य की स्थायी निवासी बन जाती है और उसे राज्य में संपत्ति खरीदने से लेकर सारे हक मिलते हैं। उन्होंने कहा कि ये समानता के मौलिक अधिकार का हनन है और लिंग आधारित भेदभाव है जिसकी संविधान इजाजत नहीं देता। कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद याचिका को महत्वपूर्ण मानते हुए सॉलीसिटर जनरल रंजीत कुमार से कहा कि वे इस याचिका पर केंद्र सरकार का निर्देश लेकर कोर्ट को सूचित करें। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वे अपनी याचिका की एक प्रति सॉलीसिटर जनरल को दें।

दाखिल याचिका में जम्मू-कश्मीर संविधान के अनुच्छेद 6 व भारतीय संविधान के अनुच्छेद 35ए को चुनौती दी गई है। कहा गया है कि जब दुनिया में महिलाएं प्रगति कर रहीं हैं और हर जगह बराबरी का हक पा रहीं हैं, यहां तक कि भारत सरकार भी सबका साथ सबका विकास की बात करती है। ऐसी स्थिति में ये भेदभावपूर्ण कानून असंवैधानिक है।

कितनी अजीब बात है कि जम्मू-कश्मीर में पैदा होने के बावजूद वे बाहर शादी करने के कारण अपने जन्म स्थान में संपत्ति खरीद कर मकान नहीं बनवा सकतीं जबकि वे भारत में यहां तक कि दुनिया में कहीं भी संपत्ति खरीद सकती हैं। याचिका में कहा गया है कि ये भेदभाव वाला कानून जम्मू-कश्मीर की महिलाओं से उनके अपनी पसंद की शादी करने का हक छीनता है।

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