गंगत्व संरक्षण पर होगा मंथन
आइआइटी बीएचयू में दो दिनों तक काशी कुंभ का आयोजन होगा। यह मां गंगा को समर्पित रहेगा। इसमें शामिल होंगे गंगा प्रेमी। कोई भेद नहीं, कोई विभेद नहीं। सबकी नजरें गंगा के अविरल प्रवाह और निर्मल धारा पर होंगी। गंगा की धारा को नैसर्गिक रूप कैसे दिया जाए इसी पर दो दिनों तक मंथन होगा।
वाराणसी। आइआइटी बीएचयू में दो दिनों तक काशी कुंभ का आयोजन होगा। यह मां गंगा को समर्पित रहेगा। इसमें शामिल होंगे गंगा प्रेमी। कोई भेद नहीं, कोई विभेद नहीं। सबकी नजरें गंगा के अविरल प्रवाह और निर्मल धारा पर होंगी। गंगा की धारा को नैसर्गिक रूप कैसे दिया जाए इसी पर दो दिनों तक मंथन होगा। 19 व 20 जुलाई को होने वाले इस कार्यक्रम में आइआइटी कानपुर भी सहभागी होगा।
200 का पंजीकरण : स्थानीय संयोजक आइआइटी बीएचयू के प्रो. प्रभात कुमार सिंह बताते हैं कि अब तक लगभग 200 लोगों ने पंजीकरण कराया है। अभी कुछ दिन शेष है लिहाजा संख्या बढ़ने की उम्मीद है। नदी पुनर्जीवन आंदोलन से जुड़े जल-जन जोड़ो अभियान, गंगा जल बिरादरी, तरुण भारत संघ के तत्वावधान में यह आयोजन होगा। इसमें हिंदू, मुसलमान, सिख और इसाई शामिल होंगे। विश्वविद्यालय, शिक्षण संस्थानों के प्रतिनिधि, सामाजिक एवं राजनीतिक कार्यकर्ताओं के साथ संत महात्माओं को बुलाया गया है। कहते हैं कि जब मां गंगा अविरल और निर्मल थी तो गंगा जल में गंगत्व था। यह गंगत्व स्वस्थ रखता था। तब गंगा स्नान से पुण्य मिलता था। गंगा जल में विलक्षण प्रदूषण नाशनी शक्ति थी। इस कुंभ का उद्देश्य गंगा मैया के गंगत्व को सुरक्षित करने की राह खोजना है।
इनकी होगी भागीदारी : जल पुरुष राजेंद्र सिंह, आइआइटी-बीएचयू के निदेशक प्रो. राजीव संगल, प्रो. विनोद तारे, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, मेजर हिमांशु सिंह, न्यायमूर्ति गिरधर मालवीय व न्यायमूर्ति एसएन श्रीवास्तव, डा. प्रदीप भार्गव आदि शिरकत करेंगे।