नेताजी से जुड़ी फाइलें सार्वजनिक नहीं करेगी आइबी
नेताजी सुभाषचंद्र बोस के परिजनों की जासूसी कराने संबंधी हाल में हुए खुलासे के बाद इस मामले की शुरू जांच को अब ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। जाने-माने लेखक व सामाजिक कार्यकर्ता अनुज धर द्वारा आरटीआइ के तहत पूछे गए सवाल के जवाब में इंटेलिजेंस ब्यूरो (आइबी) ने
कोलकाता। नेताजी सुभाषचंद्र बोस के परिजनों की जासूसी कराने संबंधी हाल में हुए खुलासे के बाद इस मामले की शुरू जांच को अब ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। जाने-माने लेखक व सामाजिक कार्यकर्ता अनुज धर द्वारा आरटीआइ के तहत पूछे गए सवाल के जवाब में इंटेलिजेंस ब्यूरो (आइबी) ने बोस के परिजनों की जासूसी से संबंधित गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करने से साफ इनकार कर दिया है।
वहीं, धर का आरोप है कि केंद्र सरकार जासूसी प्रकरण की जांच भी नहीं करा रही है। अनुज धर ने नेताजी के परिवार के सदस्यों की वर्ष 1948 से 1968 के बीच जासूसी कराने संबंधी गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करने की मांग को लेकर संबंधित विभागों में कई पत्राचार किया था। अब आइबी के इनकार के बाद धर ने फाइलों को सार्वजनिक करने की मांग को लेकर केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) का दरवाजा भी खटखटाया है।
हालांकि धर का दावा है कि सीआइसी को उनकी अपील पर विचार करने में दो साल लग सकते हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले साल दिसंबर में राष्ट्रीय अभिलेखागार में रखे नेताजी से जुड़े आइबी की दो गोपनीय फाइलों का खुलासा हुआ था। इसके अनुसार, 50 के दशक में नेताजी के परिजनों की जासूसी कराई गई थी।
इन फाइलों से पता चला था कि नेताजी के भतीजे अमिय नाथ बोस पर 1950 में उनकी टोक्यो यात्रा के दौरान कड़ी निगरानी रखी गई थी। एक अन्य भतीजे शिशिर बोस पर भी अप्रैल 1958 में उनकी चेन्नई यात्रा के दौरान निगरानी रखी गई थी। इतना ही नहीं, इन फाइलों के हवाले से कहा गया कि तत्कालीन नेहरू सरकार ने नेताजी परिवार के प्रत्येक सदस्यों पर करीब दो दशकों तक निगरानी रखी।