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मैं बनूंगा मुसलमानों के बीच मोदी का दूत: साबिर अली

कभी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सबसे विश्वस्त रहे साबिर अली आखिरकार भाजपा में शामिल हो ही गए। लोकसभा चुनाव से पहले पूरी तैयारियों के बावजूद ऐन वक्त पर वह भाजपा में आते-आते रह गए थे। मगर अब बिहार चुनाव से पहले उनकी वापसी भाजपा के शीर्ष स्तर से

By Sanjay BhardwajEdited By: Published: Mon, 03 Aug 2015 09:24 AM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2015 05:54 PM (IST)
मैं बनूंगा मुसलमानों के बीच मोदी का दूत: साबिर अली

नई दिल्ली। कभी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सबसे विश्वस्त रहे साबिर अली आखिरकार भाजपा में शामिल हो ही गए। लोकसभा चुनाव से पहले पूरी तैयारियों के बावजूद ऐन वक्त पर वह भाजपा में आते-आते रह गए थे। मगर अब बिहार चुनाव से पहले उनकी वापसी भाजपा के शीर्ष स्तर से कराई गई है। संदेश स्पष्ट है कि बिहार में वह लालू-नीतीश गठजोड़ के खिलाफ मुस्लिमों के बीच में भाजपा की तरफ से जवाब होंगे। मगर उनको लेकर पार्टी के भीतर विरोध मुखर है, बयानबाजी का दौर जारी है। लेकिन , इससे बेखबर साबिर अली कहते हैं कि वह नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में काम करने आए हैं। मुस्लिमों के बीच उनके दूत के रूप में काम करेंगे। वापसी के बाद पार्टी के बड़े नेताओं और प्रधानमंत्री से मिलने दिल्ली आए साबिर अली ने राष्ट्रीय राजधानी में अपने प्रवास के दौरान दैनिक जागरण के नेशनल चीफ ऑफ ब्यूरो राजकिशोर से बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश:

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बिहार भाजपा में लोग आपके आने से खुश नहीं हैं। लोग क्यों नाराज हैं?

मेरा मकसद है काम करना। पार्टी में किसी भी शख्स के मन में जब यह बात आ जाए कि उसकी इमारत हिलने लगी है तो इस तरह की बात करने का प्रयास करता है। यह साधारण बात है। भाजपा में कौन नाराज है यह मैं नहीं जानता। मगर पार्टी में मैं जिस नीयत से आया हूं और जिन नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में काम करने का इरादा है, उसे पूरी शिद्दत के साथ करूंगा।

मगर इतने अपमान और विरोध के बावजूद भाजपा में आने की वजह?

जैसा मैंने कहा कि मुझे लगता है कि नरेंद्र मोदी एक ऐसा शख्स है जिसके नेतृत्व में काम करने की आवश्यकता है। यह ऐसे ही मैं नहीं कह रहा हूं। मोदी से मार्च 2014 में मुलाकात से पहले मैंने अहमदाबाद का सफर किया। चीजों को समझा और जाना फिर इस नतीजे तक पहुंचा। मुझे लगता है कि मुसलमानों की आज तक भाजपा से जो नजदीकी होनी चाहिए थी, वह बन नहीं सकी।

तो आप मुसलमानों के बीच मोदी का चेहरा होंगे?

चेहरा नहीं? मोदी सरकार की जो नीतियां हैं, मैं ईमानदारी से अपने लोगों के बीच पहुंचाऊंगा। मैं क्या कर सकूंगा पता नहीं, लेकिन अपनी बात मुस्लिमों के बीच सीना ठोक कर रखूंगा।

पहले तो मोदी के आप तीखे आलोचक थे, लेकिन आपका ह्रदय परिवर्तन कैसे?

आपका इशारा मैं समझ गया। चूंकि तब मैं जदयू में प्रवक्ता था लिहाजा जिस दल में हो, उसी दल की स्क्रिप्ट होती है। हमने ऐसी बहुत बातें मोदी के बारे में की हैं, जो गलत थीं या नहीं कहना चाहिए था। बाद में मुझे गलतबयानी के लिए खुद भी खेद हुआ।

तो कैसे माना जाए कि अब आप जो बोल रहे हैं, वह भाजपा की स्क्रिप्ट नहीं है?

इसलिए कि वहां जदयू एक आदमी की ही पार्टी थी। वहां, शरद यादव अध्यक्ष हैं, लेकिन कोई फैसला लेने की उनकी हैसियत नहीं है। जितनी मेरी समझ है, उनका निर्णय होता तो शायद जदयू दूसरी दिशा में जाता। वहां वही होता है जो नीतीश चाहते हैं।

होता तो भाजपा में भी वही है जो नरेंद्र मोदी चाहते हैं। वरना इतने विरोध के बाद भी आप कैसे आते?

मैं सहमत हूं। लेकिन यहां प्रधानमंत्री की नीयत और नीति देखनी होगी। उनकी नीति जो उन्होंने कहा है, वैसा ही सवा साल में किया है। कांग्रेस के शासनकाल में प्रधानमंत्रियों ने इंटरनेशनल फोरम पर नहीं कहा कि मेरे देश का मुसलमान उतना ही वफादार है, जितना कि अन्य लोग हैं। उनकी निष्ठा पर शक नहीं किया जा सकता। मोदी ने जो बातें कही हैं, उन पर अमल कर रहे हैं।

मगर सांप्रदायिक बयान तो भाजपा के नेता और केंद्र के मंत्री भी दे रहे हैं और उन पर कोई कार्रवाई भी नहीं हुई, फिर नीयत की बात.?

देखिए जिस पार्टी के लिए काम करने जा रहा हूं, उस भाजपा के फोरम से डेढ़ साल में चाहे प्रधानमंत्री हों या फिर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह किसी ने कोई भी ऐसी बात नहीं की। मेरी पार्टी की और प्रधानमंत्री की नीयत बिल्कुल साफ हैं। काम साफ हैं। वक्तव्य तो बदलते रहते हैं। पार्टी व्यापक है, सब लोग अपनी सोच व्यक्त कर सकते हैं। कुछ लोगों के बयान जरूर आए हैं जो पार्टी को स्वीकार्य नहीं है। उन्हें निश्चित तौर पर ही पार्टी की ओर से कड़ा संदेश दिया गया होगा।

क्या आपको भरोसा है कि बिहार में अल्पसंख्यकों खासतौर से मुस्लिमों के वोट भाजपा को मिलेंगे? क्योंकि लोकसभा चुनाव में वहां वोटों का ट्रेंड तो ऐसा नहीं था?

जब लोकसभा का चुनाव हो रहा था तो मोदी के बारे में कुछ सवाल खड़े किए थे। तब की और आज की सोच में बदलाव है। डेढ़ साल कार्यकाल लोग देख चुके हैं। अब कुर्सी पर बैठने के बाद मोदी के काम की चर्चा है। जो भ्रम दिखाया गया और डर दिखाया गया, वह सब बिल्कुल गलत निकला।

लेकिन दिल्ली में मुसलमानों ने भाजपा को हराने के लिए एकजुटता दिखाई?

आम आदमी पार्टी (आप) को सिर्फ मुसलमानों ने वोट नहीं दिया। छोटे-बड़े, अफसर से लेकर व्यापारी तक सभी का ध्रुवीकरण हुआ था। दिल्ली का परिणाम बिहार में नहीं हुआ।

आप और नीतीश कुमार आमने-सामने पड़ेंगे तो एक दूसरे के प्रति कैसा व्यवहार होगा?

(मुस्कराते हैं) नीतीश कुमार की अब तक की जो राजनीति रही है, वह धोखा देने की रही है। मैं उसी कड़ी का एक छोटा सा शख्स हूं, जिसने उन पर भरोसा कर ईमानदारी के साथ काम किया, लेकिन हमारी बारी आई तो उन्होंने धोखा दिया। जो शख्स उनका सबसे करीबी है, उसके साथ मुकर गए। फिर जो उनको वोट देता है, उससे कितनी जल्दी मुकर जाएंगे, समझा जा सकता है।

नीतीश के मुकाबले बिहार में भाजपा का चेहरा न होने की कमी की काट कैसे करेंगे?

अब बिहार में नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव का चेहरा ऐसा मिल गया है कि सब बदल गया। भाजपा के पास जितने भी चेहरे हैं, सब उनसे बेहतर। वहां नेता मजबूरी का है, यहां मजबूती का नेता होगा।

बिहार में जातीय समीकरण सिर चढ़कर बोलते हैं, आपको नहीं लगता ये समीकरण नीतीश-लालू गठबंधन के पक्ष में हैं?

विश्लेषण सिर्फ एक कोण से किया जा रहा है। महादलित नीतीश के पाले से निकल चुका है। रामविलास पासवान के पास दलित है, वह भाजपा के खेमे में है। नौजवान तबका भाजपा को वोट देने के लिए तैयार है।

पिछली बार आपको भाजपा में रोकने वाले मुख्तार अब्बास नकवी से आपकी बात होती है?

हां बिल्कुल। उस घटना के दो-तीन दिन बाद बात हुई। मैंने केस किया। उन्होंने लिखित में माफीनामा मांगा तो मैंने वापस ले लिया। उन्होंने बाद में माना भी कि उन्हें गलतफहमी हुई। मैं इतना ही कह सकता हूं कि दूर से किसी के विषय में धारणा नहीं बनानी चाहिए।


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