शोधकर्ताओं का दावा, मानव मूत्र हो सकता है रासायनिक उर्वरकों का विकल्प
वैज्ञानिकों का कहना है कि आठ महीने तक संरक्षित परिस्थितियों में रखने से मानव मूत्र श्रेष्ठ उर्वरक बन सकता है।
बेंगलुरु, आइएएनएस : भारतीय वैज्ञानिकों के एक दल ने मानव मूत्र को रासायनिक उर्वरकों का विकल्प बताया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि आठ महीने तक संरक्षित परिस्थितियों में रखने से मानव मूत्र श्रेष्ठ उर्वरक बन सकता है।
कोलकाता के नजदीक स्थित कल्याणी यूनिवर्सिटी के इंटरनेशनल सेंटर फॉर इकोलॉजिकल इंजीनियरिंग के शोधकर्ताओं ने इस शोध को अंजाम दिया है। शोधकर्ता बारा बिहारी जना और उनके साथियों ने इंडियन जर्नल ऑफ एक्सपेरिमेंटल बायोलॉजी में इस शोध को प्रकाशित कराया है।
जना ने कहा, 'मूत्र में पौधों के लिए जरूरी पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटेशियम प्रचुर मात्रा में होते हैं। इसके अलावा उसमें कुछ प्रमोटिंग एजेंट जैसे अमीनो अम्ल, ग्लूकोज और विटामिन भी होते हैं।' जना और उनकी टीम एक दशक से ज्यादा समय से उर्वरक के रूप में मानव मूत्र के इस्तेमाल की संभावनाओं पर शोध कर रही है। उन्होंने कहा कि भारत जैसे देश में मानव मूत्र का तरल उर्वरक के रूप में प्रयोग कई रास्ते खोल सकता है। यह पर्यावरण की दृष्टि से भी श्रेष्ठ होगा।
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