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जानिए: भारत के मुकाबले 10 देशों में कितना अलग है देशद्रोह का कानून

आइए हम आपको बताते हैं क्या है कि भारत के मुकाबले दुनिया के 10 देशों में कैसा है देशद्रोह का कानून। सबसे पहले हम आपको बताते हैं कि अभिव्यक्ति की आजादी और देशद्रोह की परिभाषा क्या है।

By Atul GuptaEdited By: Published: Fri, 19 Feb 2016 01:09 PM (IST)Updated: Fri, 19 Feb 2016 01:30 PM (IST)
जानिए: भारत के मुकाबले 10 देशों में कितना अलग है देशद्रोह का कानून

नई दिल्ली। जेएनयू में भारत विरोधी नारे लगाने को लेकर चलाए जा रहे देशद्रोह के मामले पर देशभर में जोरदार बहस हो रही है। कुछ लोग इसका समर्थन कर रहे हैं तो कुछ लोग इस देशद्रोह के आरोप का पुरजोर विरोध में है।

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आइए हम आपको बताते हैं क्या है कि भारत के मुकाबले दुनिया के 10 देशों में कैसा है देशद्रोह का कानून।
सबसे पहले हम आपको बताते हैं कि अभिव्यक्ति की आजादी और देशद्रोह की परिभाषा क्या है।

देशद्रोह: किसी राज्य देश या सम्राट के खिलाफ अपने आचरण या भाषा से लोगों को भड़काना देशद्रोह है।

अभिव्यक्ति की आजादी: जहां एक व्यक्ति बिना किसी डर के और बिना किसी रोक टोक के अपनी बात या अपने विचार रख पाता है उसे अभिव्यक्ति की आजादी कहा जाता है।

जब ये मसहूस किया गया कि कुछ शरारती तत्व अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर देश के खिलाफ बोल रहे हैं तो देशद्रोह का कानून लाया गया।

अब हम आपको बताते हैं कि दुनिया के दस देशों में मौजूद देशद्रोह का कानून भारत के देशद्रोह के कानून से किस प्रकार अलग है।

अमेरिका:


अमेरिकी कानून की धारा 2385 के अंतर्गत कोई भी बलपूर्वक सरकार की मर्यादा भंग करने की कोशिश करता है तो वो देशद्रोह की श्रेणी में आएगा। हालांकि अभिव्यक्ति की आजादी के बीच इस कानून का बहुत कम इस्तेमाल हुआ है।

जर्मनी:

जर्मनी के कानून में एक शब्द है वोल्कसवर्हतझुंग जिसका मतलब होता है लोगों की शह पर। यह शब्द देशद्रोह के समान है जिसके मुताबिक किसी विशेष जाति या धर्म के खिलाफ आवाज उठाने पर इस धारा के अंतर्गत मामला दर्ज किया जा सकता है।

कनाडा:

कनाडा में देशद्रोह का कानून घृणा या नफरत के लिए बनाए गए कानून में शामिल नहीं है। 20वीं शताब्दी के बाद से कनाडा में किसी भी तरह का देशद्रोह का कानून नहीं लाया गया है। इसलिए कनाडा के लोगों पर अभिव्यक्ति की आजादी को रोकने का कानून कभी लागू नहीं किया गया।

नीदरलैंड:

नीदरलैंड में राजा या उनके परिवार या उनके उत्तराधिकारी का अपमान करना राजद्रोह के दायरे में आता है। आरोपी व्यक्ति पर डच पीनल कोर्ड की धारा 111-113 के अंतर्गत मामला दर्ज किया जा सकता है।

मलेशिया:

मलेशिया में राजद्रोह अधिनियम 1948 दूसरे देशों से थोड़ी अलग है। क्योंकि ये सत्तारूढ़ सरकार के अलावा अधिकार और न्याय आयोग और संघीय ढांचे के संविधान के खिलाफ आवाज उठाने और नस्लीय नफरत फैलाने वाले भाषणों पर भी लागू किया जा सकता है।

नार्वे:

नार्वे के सिविल पीनल कोर्ड के अध्याय नंबर नौ में मौजूद धारा पांच के मुताबिक राजा का अपमान करना देशद्रोह है। धारा पांच के मुताबिक राजा एक पवित्र व्यक्ति है उससे कोई सवाल नहीं किया जा सकता ना ही उसपर कोई आरोप लगाया जा सकता है।

न्यूजीलैंड:

न्यूजीलैंड में साल 2007 में अपराध के लिए बनाए गए कानून की धाराओं में संशोधन के बाद राजद्रोह को अपराध की धाराओं से हटा दिया गया है।

संयुक्त राष्ट्र:

जस्टिस एक्ट 2009 की धारा 73 राजद्रोह और विद्रोहात्मक परिवाद की धारा को समाप्त करता है। 12 जनवरी 2012 से लागू किए गए नए कानून के मुताबिक अगर कोई अप्रवासी इस कानून के दायरे से बाहर रखे गए हैं।

इंडोनेशिया:

डच कानून का पालन करते हुए इंडोनेशिया में देशद्रोह की धारा को संविधान से हटा दिया गया है।

दक्षिण कोरिया:


कोरिया गणराज्य ने साल 1988 में प्रजातांत्रिक कानून में बदलाव करते हुए देशद्रोह के कानून को खत्म कर दिया है।

पढ़ें- देशद्रोह के नारे लगाना शहीदों का अपमान : शर्मा


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