जानें, कैसे आईएस का भारतीय चेहरा बना मुदाबिर मुश्ताक शेख
पूछताछ में यह भी पता चला है कि वह आतंकी संगठन इस्लामी स्टेट (आईएस) के मुखिया बगदादी की कोर टीम के सीधे संपर्क में था।
नई दिल्ली। 33 वर्षीय मुदाबिर मुश्ताक शेख को अबु मुसाब के नाम से भी जाना जाता है। उसे यह नाम सीरिया में उसके हैंडलर शफी अरमर उर्फ यूसुफ ने दिया था, जो शेख से चार साल छोटा है। उसने ही शेख को अबु बकर अल बगदादी का सहयोगी करार दिया था।
राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) की टीम ने विभिन्न जगहों से 13 संदिग्ध लोगों को गिरफ्तार किया था। इनका मुखिया मुदाबिर मुश्ताक शेख है। पूछताछ में यह भी पता चला है कि वह आतंकी संगठन इस्लामी स्टेट (आईएस) के मुखिया बगदादी की कोर टीम के सीधे संपर्क में था। उसे बताया गया था कि खुद बगदादी ने उसे भारत में आईएस के प्रमुख के तौर पर मंजूरी दी है।
शेख भारत में आईएस का साम्राज्य फैलाना चाहता था। साल 2000 में नालासोपारा में वह एक छात्र हुआ करता था। यहां से उसने जानूद-उल-खालिद-अल-हिंद के अमीर के रूप में काम करना शुरू किया, जो आईएस से प्रेरित चरमपंथी संगठन है। उसे हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी और मराठी आती है। उसने अब तक देशभर में दो दर्जन युवाओं को जिहाद के लिए प्रेरित किया है।
सुरक्षा एजेंसियों ने उसके कई खातों से 10 लाख रुपए बरामद किए हैं। उसकी गिरफ्तारी के समय एनआईए ने उसके पास से 1.95 लाख रुपए बरामद किए थे। ये पैसे उन 6.50 लाख रुपए में से थे, जो हवाला के जरिये उसे सीरिया के हैंडलर ने दिए थे।
उसका जन्म 13 अक्टूबर 1982 को संप्रदायिक रूप से संवेदनशील भिंडी बाजार में हुआ था। उसने मुंबई से साल 2003 में अकबर पीरभॉय कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। साथ ही नालासोपारा के सेंट एंग्लो इंस्टीट्यूट से वेब प्रोग्रामिंग का कोर्स किया। शेख ने 2010-11 में शादी की और उसकी पांच साल व तीन साल की दो बेटियां हैं। वह अपनी पत्नी उज्मा और बेटियों के साथ मुंब्रा के एक फ्लैट में रह रहा था, जहां से एनआईए की टीम ने उसे गिरफ्तार किया।
साल 2001 में अमेरिका में ओसामा बिन लादेन ने 9/11 की घटना को अंजाम दिया। इसके बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान में हमला कर दिया। उसने बताया कि 2001 के हमलों के बाद हर कोई मुस्लिमों को आतंकी कहने लगा था। मैं इससे परेशान हो गया। मैं अवसाद में चला गया। इसके बाद उसने दुनिया भर में मुस्लिमों के साथ हुए अन्याय के बारे में पढ़ना शुरू कर दिया। इस दौरान शेख कई जगहों पर नौकरी कर चुका था।
उसे साल 2007 में गोरेगांव के स्पोर्ट्स इंटरेक्िटव में बड़ा ब्रेक मिला। यहां करीब पांच साल तक उसने काम किया, लेकिन दिसंबर 2012 में खराब प्रदर्शन के चलते उसे निकाल दिया गया। इसके बाद उसने घर से फ्रीलांस काम करना शुरू कर दिया। इस दौरान उसने इस्लामिक स्टेट ऑफ सीरिया एंड लेवेंट (ISIL) के बारे में पढ़ना शुरू किया। इसके साथ ही वह फेसबुक पर यूसुफ अल हिंदी के साथ जुड़ गया। सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि यूसुफ ही शफी अरमर है, जो रियाज भटकल के साथ इंडियन मुजाहिदी में जुड़ा था।
साल 2008 में आईएम पर हुई कार्रवाई के बाद वह बड़े भाई सुल्तान के साथ पाकिस्तान भाग गया था। इसके बाद वह अफगानिसतान में नाटो फोर्स से लड़ते हुए सीरिया चला गया। माना जाता है कि वह भारत में आईएस के लिए लड़ाकों की तलाश करने का काम कर रहा था।