सरकार अड़ी, होटलों को करना होगा सर्विस चार्ज के तहत वसूली गई राशि का खुलासा
होटल व रेस्टोरेंट में खाने के बिल में जोड़े जा रहे सर्विस चार्ज को लेकर सरकार कड़ा रुख अपनाने जा रही है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। होटल व रेस्टोरेंट में खाने के बिल में जोड़े जा रहे सर्विस चार्ज को लेकर सरकार कड़ा रुख अपनाने जा रही है। केंद्रीय उपभोक्ता मामले व खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि रेस्टोरेंट और होटलों को सर्विस चार्ज में वसूली जाने वाली धनराशि का खुलासा करना होगा। खाने के बिल में प्रिंट होकर आने वाले इस मद का कहीं कोई जिक्र नहीं किया जाता है।
पासवान ने एक सवाल के जवाब में बताया कि होटल व रेस्टोरेंट वालों का कहना है कि वे वसूली जाने वाली धनराशि की 30 फीसद हिस्सा अपने स्टाफ और वेटर के बीच बांट देते हैं। लेकिन बाकी धनराशि के बारे में उनकी ओर से कोई विवरण पेश नहीं किया जाता है। सरकार आने वाले दिनों में इसके बारे में होटल व रेस्टोरेंट वालों को जवाब तलब कर सकती है।
सर्विस चार्ज वसूलना ही अवैध
ग्राहकों के हित में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत भी कार्रवाई होनी तय है। कोई भी ग्राहक सर्विस चार्ज देने से मना कर सकता है। पासवान ने बताया कि उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत प्रतिबंधित व्यापार के तौर पर इस पर कार्रवाई हो सकती है। सर्विस चार्ज वसूलना ही अवैध है। वेटर को दिये जाने वाले टिप्स को होटल व रेस्टोरेंट ने वैधानिक तौर पर अपने बिल में शामिल कर लिया है।
उपभोक्ता मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि खाने के बिल में शामिल सभी वस्तुओं के अधिकतम मूल्य खुद रेस्टोरेंट तय करते हैं। जायज तौर पर जहां सर्विस टैक्स वसूला जाता है, वहीं सर्विस चार्ज के नाम पर बिल की कुल राशि का 20 फीसद तक वसूला जाता है। जबकि इसका ब्यौरा कहीं नहीं दिया जाता है। होटल व रेस्टोरेंट पर दबाव बनाने के लिए आयकर विभाग उनसे जवाब मांग सकता है।
यह भी पढ़ें: सात राज्यों ने किया अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के प्रस्ताव का विरोध