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शबनम और सलीम की फांसी पर फिलहाल रोक

सात लोगों की हत्या के जुर्म में फांसी की सजा पाने वाले प्रेमी युगल शबनम और सलीम की मौत की घड़ियां फिलहाल टल गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों की फांसी पर अंतरिम रोक लगा दी है। कोर्ट ने सजा के खिलाफ दाखिल दोनों की पुनर्विचार याचिका पर उत्तर प्रदेश

By manoj yadavEdited By: Published: Mon, 25 May 2015 09:24 PM (IST)Updated: Mon, 25 May 2015 09:25 PM (IST)

नई दिल्ली। सात लोगों की हत्या के जुर्म में फांसी की सजा पाने वाले प्रेमी युगल शबनम और सलीम की मौत की घड़ियां फिलहाल टल गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों की फांसी पर अंतरिम रोक लगा दी है। कोर्ट ने सजा के खिलाफ दाखिल दोनों की पुनर्विचार याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार से बुधवार तक जवाब मांगा है। 27 मई को मामले पर फिर सुनवाई होगी।

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सुप्रीम कोर्ट से फांसी की सजा पर मुहर लगने के बाद अमरोहा के सत्र न्यायाधीश ने गत 21 मई को शबनम और सलीम को फांसी दिए जाने के लिए डेथ वारंट जारी करने के बारे में जेल प्रशासन से जवाब मांगा था। सत्र अदालत ने जेल प्रशासन से पूछा था कि क्या उनके यहां फांसी देने की व्यवस्था है? डेथ वारंट की प्रक्रिया शुरू होने के बाद से दोनों की जिंदगी की उल्टी गिनती शुरू हो गई थी।

सोमवार को वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर ने न्यायमूर्ति एके सीकरी व न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ के समक्ष मामले का जिक्र करते हुए कहा कि फांसी दिए जाने के बारे में कोई भी अंतिम फैसला होने से पहले इस याचिका पर सुनवाई होनी चाहिए। उन्होंने फांसी दिए जाने के बारे में सत्र न्यायाधीश द्वारा जेल प्रशासन से पूछे गए सवालों का जिक्र करते हुए यह बात कही।

पीठ ने उनकी दलीलें सुनने के बाद दोनों की फांसी पर फिलहाल रोक लगाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया। 27 मई को मामले पर फिर सुनवाई होगी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक फांसी की सजा पाए अभियुक्तों की पुनर्विचार याचिका पर तीन न्यायाधीशों की पीठ खुली अदालत में सुनवाई करती है।

यह है मामला

14-15 अप्रैल, 2008 की रात में शिक्षा मित्र शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिल कर परिवार के सात लोगों- माता, पिता, दो भाइयों, भाभी, दस महीने के भतीजे और भांजी की हत्या कर दी थी। यह घटना अमरोहा जिले के हसनपुर कस्बे से सटे बावनखेड़ी गांव की है। शबनम ने परिवार वालों की हत्या इसलिए की थी क्योंकि परिवार के लोग सलीम से उसकी शादी के खिलाफ थे।

घटना के वक्त शबनम गर्भवती थी। शबनम के बच्चे का जन्म जेल में ही हुआ है। अमरोहा की जिला अदालत ने शबनम और सलीम के अपराध को जघन्य अपराध मानते हुए दोनों को फांसी की सजा सुनाई थी। इलाहाबाद हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने दोनों की फांसी की सजा बरकरार रखी। अब दोनों ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है।


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