ऐतिहासिक राइफल टूटी, दो कारतूस भी गायब
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) की एक बड़ी लापरवाही उजागर हुई है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उपयोग में लाई गई राइफल 17 साल से पुलिस मालखाने में रखे-रखे टूट गई। उसके दो कारतूस भी गायब हो गए हैं। इतना ही नहीं, ऐतिहासिक रिवाल्वर भी कबाड़ हो रही थी। इतने वर्षो तक एएसआइ के किसी भी अधिकारी ने इन हथियारों को वापस ल
नई दिल्ली। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) की एक बड़ी लापरवाही उजागर हुई है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उपयोग में लाई गई राइफल 17 साल से पुलिस मालखाने में रखे-रखे टूट गई। उसके दो कारतूस भी गायब हो गए हैं। इतना ही नहीं, ऐतिहासिक रिवाल्वर भी कबाड़ हो रही थी। इतने वर्षो तक एएसआइ के किसी भी अधिकारी ने इन हथियारों को वापस लाने की जहमत नहीं उठाई।
करीब छह महीने पहले एएसआइ के एक अधिकारी ने पुलिस आयुक्त भीम सेन बस्सी से इस संदर्भ में मुलाकात की थी। बस्सी के हस्तक्षेप के बाद दोनों हथियार एएसआइ को मिल गए हैं। इन्हें फिर से संग्रहालय में रखा जाए या नहीं, इस पर विचार किया जा रहा है।
हथियारों को पुलिस ने लिया था कब्जे में
दोनों हथियार (राइफल व रिवाल्वर) लालकिला स्थित इंडियन वार मेमोरियल में रखे हुए थे। वर्ष 1989 में एक व्यक्ति ने शीशा तोड़कर इन्हें निकाल लिया था। इतना ही नहीं, वहां रखे दो कारतूसों को भी उसने राइफल में लोड कर लिया था। वह किसी पर गोली चलाता इससे पहले ही पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। दोनों हथियारों को सील कर कोतवाली थाने के मालखाने में रखवा दिया गया। मामले से संबंधित मुकदमा वर्ष 1997 में समाप्त हो गया। इसके बाद दोनों ऐतिहासिक हथियार एएसआइ के पास आ जाने चाहिए थे, लेकिन अधिकारी गहरी नींद में सोए थे।
डॉ. राकेश तिवारी के एएसआइ के महानिदेशक बनने के बाद अधिकारी हरकत में आए। उन्होंने हथियारों को वापस लाने की पहल की, लेकिन बात नहीं बनी। मामला पुलिस आयुक्त तक पहुंचा। उनके निर्देश पर पुलिस अधिकारियों ने एएसआइ की मदद की। अब जाकर तीस हजारी अदालत की अनुमति पर दोनों हथियार एएसआइ को मिले।द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान उपयोग में लाई गई राइफल व रिवाल्वर।
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