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आदर्श घोटाले की सुनवाई से एक और पीठ ने खुद को अलग किया

बांबे हाई कोर्ट की एक पीठ ने शुक्रवार को आदर्श हाउसिंग घोटाले से जुड़ी एक याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। याचिका में मांग की गई है कि सीबीआइ वह सुबूत पेश करे जिसके आधार पर उसने जांच में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे को

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Fri, 24 Apr 2015 05:52 PM (IST)Updated: Fri, 24 Apr 2015 06:07 PM (IST)
आदर्श घोटाले की सुनवाई से एक और पीठ ने खुद को अलग किया

मुंबई । बांबे हाई कोर्ट की एक पीठ ने शुक्रवार को आदर्श हाउसिंग घोटाले से जुड़ी एक याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। याचिका में मांग की गई है कि सीबीआइ वह सुबूत पेश करे जिसके आधार पर उसने जांच में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे को निर्दोष करार दिया है। यह दूसरा अवसर है जब हाई कोर्ट की पीठ ने इस याचिका की सुनवाई से इंकार किया है। पिछले साल जून में न्यायमूर्ति वीएम कनाड और पीडी कोड की पीठ ने भी ऐसा ही किया था।

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न्यायमूर्ति शालिनी फनसालकर जोशी न्यायमूर्ति पीवी हरदास के साथ दो सदस्यीय पीठ में बैठी थीं। जब मामला इस पीठ के समक्ष आया तो उन्होंने कहा-'हम लोगों के समक्ष नहीं।' पीठ ने मामले की सुनवाई नहीं करने के पीछे कोई कारण नहीं बताया।

यह याचिका एक अन्य याचिका के साथ जुड़ी है जिसमें शिंदे को आदर्श हाउसिंग घोटाला मामले में अभियुक्त बनाने की मांग की गई है। सामाजिक कार्यकर्ता प्रवीण वाटेगांवकर ने ये दोनों याचिकाएं दायर की हैं। वाटेगांवकर ने वर्ष 2013 की जुलाई में शिंदे को अभियुक्त बनाने के लिए याचिका दायर की थी। उनका कहना है कि अब वह दोनों याचिकाओं को सुनवाई के लिए हाई कोर्ट की दूसरी पीठ में लेकर जाएंगे।

सीबीआइ ने नौ अक्टूबर 2013 को अपने जवाब में शिंदे को यह कहते हुए आरोप मुक्त करार दिया था कि उसने जांच में पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री के खिलाफ जो सुबूत पाए वे दोषपूर्ण एवं अपर्याप्त हैं। ऐसा कोई सुबूत नहीं है जिससे लगे कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान शिंदे ने लोकसेवक के रूप में अपने पद का दुरुपयोग किया।

याचिकाकर्ता वाटेगांवकर की दलील है कि आदर्श आयोग की रिपोर्ट इस नतीजे पर पहुंची है कि शिंदे ने आदर्श सोसाइटी को लाभ पहुंचाने के लिए अनावश्यक रूप से जल्दबाजी में काम किया। उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र सरकार ने 2011 में नौ जून को बांबे हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जेए पाटिल की अध्यक्षता में दो सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया था। इसका काम इस सोसाइटी की गड़बडि़यों और भ्रष्टाचार की जांच करना था।

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