आय से अधिक संपत्ित मामले में वीरभद्र को हाई कोर्ट से राहत
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह को राहत दी है। आदेश दिया है कि जांच के दौरान सीबीआइ वीरभद्र सिंह व प्रतिभा सिंह को गिरफ्तार नहीं कर सकती। उन्हें गिरफ्तार करने से पूर्व सीबीआइ को हाईकोर्ट की अनुमति लेनी होगी। हालांकि मामले की जांच
शिमला [राज्य ब्यूरो]। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह को राहत दी है। आदेश दिया है कि जांच के दौरान सीबीआइ वीरभद्र सिंह व प्रतिभा सिंह को गिरफ्तार नहीं कर सकती। उन्हें गिरफ्तार करने से पूर्व सीबीआइ को हाईकोर्ट की अनुमति लेनी होगी। हालांकि मामले की जांच चलती रहेगी। इस मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने वीरभद्र सिंह की ओर से पैरवी की। मामले में अगली सुनवाई अब 18 अक्टूबर को होगी।
उल्लेखनीय है कि वीरभद्र व प्रतिभा ने बुधवार को प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआइ द्वारा 26 सितंबर को उनके खिलाफ दर्ज एफआइआर को निरस्त करने की गुहार लगाई है। याचिका में गुहार लगाई थी कि सीबीआइ द्वारा कब्जे में लिए गए दस्तावेजों को कोर्ट में पेश किया जाए।
आरोप लगाया था कि यह मामला राजनीतिक द्वेष के कारण बनाया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के इशारे पर उन्हें निशाना बनाया गया। जिस कथित लेन-देन व संपत्ति की बात कही जा रही है उसके बारे में उन्होंने आयकर रिटर्न दाखिल कर पहले ही आयकर विभाग को जानकारी दे दी थी। प्रार्थियों ने पूरे मामले में सीबीआइ द्वारा कानूनी प्रक्रिया को दरकिनार कर उनके निवास स्थान व अन्य ठिकानों पर मारे छापे को गैर कानूनी ठहराया था।
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मालूम हो कि वीरभद्र कई ठिकानों पर पिछले शनिवार को सीबीआइ व ईडी ने छापेमारी की थी। वीरभद्र पर आरोप है कि उन्होंंने एक रद्द प्रोजेक्ट विस्तार देने के बदले बिना किसी गारंटी के करोड़ों रुपये लोन लिया था। दरअसल, आरोप है कि यह लोन नहीं रिश्वत थी। कुछ रकम वीरभद्र और कुछ उनकी पत्नी प्रतिभा के बैंक अकाउंट में आई। यह तथ्य प्रतिभा के चुनाव अायोग के शपथ पत्र में भी है।
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आरोप है कि इस रकम से उनके पुत्र विक्रमादित्य और पुत्री अपराजिता के नाम दिल्ली के महरौली में भव्य फार्म हाउस 6.61 करोड़ रुपये में खरीदा गया। वीरभद्र पर सेब के बगान और आयकर चोरी का भी आरोप है। जिस सेब बगान की आय पिछले तीन साल से 45 लाख दिखाया गया था उसे बदलकर छह करोड़ रुपये से ज्यादा कर दिया गया। यह बदलाव इसलिए किया गया ताकि रिश्वत के रूप में आई काली कमाई को सफेद किया जा सके।