आपको 500 रुपये के नए नोट क्यों नहीं मिल पा रहे, ये है असली वजह...
नोटबंदी के बाद देश में कैश की किल्लत है उसपर से 2000 रुपये के नए नोट तो धड़ल्ले से आ रहे पर 500 रुपये के नए नोटों के आने की गति काफी धीमी है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। नोटबंदी के कारण हुई कैश की किल्लत के पीछे दो नए नोटों 500 और 2000 की एक कहानी छिपी है। हर एटीएम में 500 रुपये वाले नए नोट की कमी है, जबकि 2000 रुपये के नए नोट धड़ल्ले से मिल रहे हैं।
छपाई के लिए 4 प्रिंटिंग प्रेस
आरबीआई के अनुसार, 2000 रुपये के नोट भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मैसूर में चलाए जा रहे प्रेस में छपते हैं, जबकि 500 रुपये वाले नए नोट महाराष्ट्र स्थित नासिक और देवास में भारत सरकार की प्रिंटिंग प्रेस में छप रहे हैं। चौथा प्रिंटिंग प्रेस प.बंगाल के साल्बोनी में है जिसपर आरबीआई का नियंत्रण है और यहां से 100 रुपये के नोट निकलते हैं।
रिजर्व बैंक का दोष नहीं
हर ओर इस बात की चर्चा है कि सरकार द्वारा शुरू किए गए नोटबंदी में रिजर्व बैंक अपनी भूमिका निभाने में कोताही कर रहा है। इस बात से क्रोधित आरबीआई अधिकारियों ने बताया, ’500 रुपये के नए नोटों की सप्लाई पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है। इसके लिए हमें क्यों दोषी ठहराया जा रहा है। सरकार सभी निर्णय ले रही है। वित्त मंत्रालय द्वारा सूचना मिलने पर ही हम काम कर रहे हैं।‘
लगेगा 7 माह का समय
सरकार की प्रेस से 500 रुपये के नए नोटों के आने से पहले ही 2000 रुपये के नोट की छपाई अच्छे से शुरू हो गयी थी। आरबीआई डाटा के अनुसार, 500 और 1000 के पुराने नोटों को बंद करने से पहले ही 2000 के कुल 9,026 करोड़ नए नोट सर्कुलेशन में थे। पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम द्वारा किए गए सर्कुलेशन के अनुसार, नोटों को बदलने के काम में करीब 7 माह का समय लग जाएगा। वे समय के विपरीत दिशा में दौड़ लगा रहे हैं।
चिदंबरम ने बताया, ’कुल 2,100 करोड़ नोटों को बंद किया गया है। प्रिंटिंग प्रेस में हर माह 300 करोड़ नोटों की छपाई की क्षमता है। यदि वे 2,100 करोड़ नोटों की जगह नए नोटों को लाना चाहते हैं तो इसकी छपाई में कुल सात माह का समय लगेगा।‘
हर ओर है अफरा-तफरी
नोटबंदी होने के बाद देश में अफरा-तफरी मची है। प्रिंटिंग प्रेस अपनी पूरी क्षमता लगाकर जल्द से जल्द नोटों की कमी को पूरा करना चाहती है, जबकि हर कोई कैश की किल्लत से बचाव के उपाय में जुटा है। वरिष्ठ आरबीआई अधिकारी ने बताया कि रिजर्व बैंक की प्रिंटिंग सुविधाएं अपनी पूरी क्षमता लगाकर काम कर रही हैं ताकि अवैध नोटों को जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी बदला जा सके।
2000 के नए नोटों के तेजी से आगमन और 500 रुपये के नए नोटों की कम सप्लाई से कई बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं। इससे दुकानदारों, व्यापारियों समेत हरेक व्यक्ति छोटे नोटों को जमा करने की जुगत में लगा है। प्रिंटिंग प्रेस में डबल शिफ्ट में काम हो रहा है, फिर भी बैंक, एटीएम भी 2,000 के नोटों को निकाल रहे हैं। अधिकांश किराना की दुकानें, घरेलू सहायिका व कैब ऑपरेटर भी 2000 के नए नोटों को छुट्टा करने से मना कर रहे हैं और लेना भी नहीं चाहते।
व्यवस्था से भी रुकावट
आरबीआई अधिकारी ने बताया, ’इस मामले में और भी मुश्किलें आ रही हैं, जैसे करेंसी को एक जगह से दूसरे जगह ले जाने की व्यवस्था में भी व्यवधान आ रही है। प्रिंटिंग प्रेस से बैंक शाखाओं और एटीएम में उच्च सुरक्षा की जरूरत है। लोगों की कमी के साथ सड़कों की गुणवत्ता भी करेंसी सप्लाई में व्यवधान उत्पन्न कर रही है।‘
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मालिक सब काम कराके बड़का नोट थमा देता है, भजाते चलिए..बड़ी दिक्कत हई