हाशिमपुरा मामले में बरी हेड कांस्टेबल ने कहा, 'माता रानी ने न्याय कर ही दिया'
अदालत कक्ष में जज के मुंह से बरी शब्द सुनते ही निरंजन लाल भावुक हो गए। बाहर निकले तो बोले, आज नवरात्र का पहला दिन है। 27 साल बाद माता रानी ने आखिरकार न्याय कर ही दिया। 27 साल तक हत्यारा होने का दर्द झेला है। तरक्की रुक गई, बच्चों
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। अदालत कक्ष में जज के मुंह से बरी शब्द सुनते ही निरंजन लाल भावुक हो गए। बाहर निकले तो बोले, आज नवरात्र का पहला दिन है। 27 साल बाद माता रानी ने आखिरकार न्याय कर ही दिया। 27 साल तक हत्यारा होने का दर्द झेला है। तरक्की रुक गई, बच्चों की परवरिश प्रभावित हुई। बरी हुआ भी तो सेवानिवृत्त होने के एक साल पहले।
निरजंन लाल (59) पीएसी के उन 16 पुलिसकर्मियों में से थे, जिन्हें मेरठ के हाशिमपुरा में 1987 में हुए नरसंहार के मामले में आरोपी बनाया गया था। निरंजन कहते हैं, 22 मई 1987 की घटना के बाद जिंदगी मानों बदल गई। जहां जाओ लोग, रिश्तेदार सभी शंका भरी निगाहों से देखते थे। आखिर मैं भी पांच बच्चों का पिता हूं। फिर बच्चों की उम्र के किशोरों पर गोली कैसे चला सकता हूं।
निरंजन लाल 1973 में पीएसी में बतौर हेड कांस्टेबल भर्ती हुए थे। कहते हैं, 1987 में प्रमोशन होना था, लेकिन नरसंहार की घटना में नाम घसीटा गया तो प्रमोशन रोक दिया गया। तब से लेकर अब तक एक भी प्रमोशन नहीं मिला। तनाव की वजह से शुगर व हाईपरटेंशन समेत नौ बीमारियां हो गईं। इलाज कराने के लिए पैसों का मोहताज हो गया।
निरंजन कहते हैं कि पहली बार तो घरवालों को भी शंका हुई, लेकिन जब मैंने उन्हें अपने निर्दोष होने की बात कही तो उन्होंने विश्वास किया। मुझे मलाल रहेगा कि मैं अपने बेटों की अच्छी परवरिश नहीं कर सका। सिर्फ एक बेटा पढ़ लिखकर प्रशासनिक सेवा में चयनित हुआ। यदि मुझ पर आरोप नहीं लगते तो प्रमोशन जरूर होता। प्रमोशन होने पर सैलरी बढ़ती तो बाकि बच्चों को भी अच्छी शिक्षा दिलाता।
निरंजन ने कहा, नवरात्र के पहले दिन मां ने मुझे आशीर्वाद स्वरूप न्याय दिया है। 27 साल बाद आज चैन से रात में सो सकूंगा। वर्तमान में वह 41 बटालियन में तैनात हैं।