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जानना चाहेंगे क्‍या है मैगी में ऐसा जिसके कारण लगा प्रतिबंध

दो मिनट में पकने वाली मैगी को लेकर पिछले कुछ दिनों से देश लगातार उबल रहा है। मध्‍य प्रदेश, उत्‍तराखंड, केरल, दिल्‍ली, गुजरात सहित कई राज्‍यों में इसे प्रतिबंधित कर दिया गया है। इसका कारण मैगी में तय मात्रा से अधिक पाया गया लेड और मोनो सोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी) है।

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Fri, 05 Jun 2015 04:32 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jun 2015 10:56 PM (IST)

[शशांक शेखर बाजपेई]

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दो मिनट में पकने वाली मैगी को लेकर पिछले कुछ दिनों से देश लगातार उबल रहा है। मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, केरल, दिल्ली, गुजरात सहित कई राज्यों में इसे प्रतिबंधित कर दिया गया है। इसका कारण मैगी में तय मात्रा से अधिक पाया गया लेड और मोनो सोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी) है। एमएसजी को आम बोलचाल की भाषा में अजीनोमोटो भी कहते हैं। जानते हैं अजीनोमोटो और लेड यानी सीसा के शरीर पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के बारे में।

ऐसा है अजीनोमोटो

यह चमकीला सफेद रंग का सोडियम साल्ट है। खाद्य पदार्थों का स्वाद बढ़ाने वाला यह मसाला वास्तव में एक धीमा जहर है। जो हमारी स्वाद ग्रंथियों को दबा देता है, जिससे हमें खराब खाने के स्वाद का पता नहीं चलता। अजीनोमोटो का उपयोग करके खाद्य पदार्थ की घटिया गुणवत्ता को दबाया भी जाता है। एक किलो खाद्य सामग्री में 50 मिलीग्राम अजीनोमोटो डाला जा सकता है। चिकित्सकों के अनुसार अजीनोमोटो का अत्यधिक और लगातार सेवन करने से कैंसर समेत कई गंभीर बीमारी हो सकती हैं।

अजीनोमोटो के दुष्प्रभाव

सिरदर्द : अधिकतर चाइनीज डिश में इस्तेमाल होने वाले अजीनोमोटो की यदि खाने में मात्रा अधिक हो, तो इसके कारण सिर में दर्द हो सकता है। इसे चाइनीज रेस्टोरेंट सिंड्रोम भी कहा जाता है।

मोटापा : चूहों पर किए गए शोध से पता चला है कि एमएसजी खाने और मोटापे के बीच संबंध है। एक्सरसाइज से मोटापे को नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। शरीर में वसा जमा करने की क्षमता को एमएसजी प्रभावित करता है। जब किसी खाने में एमएसजी को मिला दिया जाता है, तो उसके स्वाद के कारण उसे लोग सामान्य से अधिक खाते हैं। संभवत: ऐसा इसलिए होता है क्योंकि एमएसजी लेप्टिन हार्मोन को प्रभावित करता है, जो भूख के संकेत भेजता है।

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कैंसर : अधिक मात्रा में एमएसजी खाने वाले लोगों को पेट के कैंसर होने की पहली बार जानकारी भारत में मिली। अध्ययन में पाया गया कि कैंसर से लड़ने वाले कुछ एंटी-ऑक्सीडेंट्स को एमएसजी प्रभावित करता है। यह काफी चौंकाने वाला है क्योंकि कैंसर रोगियों के खाने में इसकी मौजूदगी से उनके उपचार और बीमारी में सुधार की गुंजाइश कम हो जाती है। हालांकि, इस मामले को लेकर विवाद है। जहां अंतरराष्ट्रीय एंटी कैंसर ऑर्गेनाइजेशन ने एमएसजी के उपभोग को हरी झंडी दे दी है। वहीं, भारतीय होटलों में पेट के कैंसर से संबंधित होने के कारण इसका सीमित इस्तेमाल किया जाता है।

अस्थमा : जिन लोगों में अस्थमा होने की आशंका अधिक है, उनके लिए एमएसजी का प्रयोग घातक हो सकता है। यह अस्थमा के अटैक को बढ़ा सकता है। हालांकि, हो सकता है कि अस्थमा का अटैक एमएसजी लेने के बाद तत्काल नहीं आए। इसे खाने के छह घंटे या अधिक समय बाद अस्थमा का अटैक आ सकता है। इसलिए कुछ लोग अस्थमा और एमएसजी के बीच संबंध होने की बात नकारते हैं।

प्रजनन क्षमता : चूहों पर किए गए शोध के अनुसार, एमएसजी से पुरुषों और महिलाओं दोनों की प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है। वर्ष 1970 में किए गए शोध के अनुसार, अधिक मात्रा में एमएसजी खाने वाली महिलाओं में गर्भधारण नहीं होने के मामले सामने आए थे।

सीसा के दुष्प्रभाव

मैगी में सीसा भी पाया गया है। भारी तत्व में गिना जाने वाला लेड यानी सीसा भी सेहत के लिहाज से हानिकारक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, इसके कारण छह लाख बच्चों में मानसिक विकलांगता आती है। अनुमान है कि इसके कारण सालाना एक लाख 43 हजार लोगों की मौत हो जाती है।

दिमाग, हड्डी, किडनी, लीवर पर इसका बुरा असर पड़ता है। गर्भवती महिलाओं में गर्भपात, मरा बच्चा पैदा होना, समय से पहले बच्चे का जन्म होना, बच्चे का वजन कम होना जैसी समस्याएं इससे जुड़ी हैं। इसके अलावा बच्चों में मानसिक विकलांगता, आईक्यू कम होना, पढ़ाई में दिक्कत होना, कम ध्यान देना, व्यवहार में परेशानी आदि आती है।

[साभार: नई दुनिया]


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