रावत का बढ़ा कद, मंत्रिमंडल में फेरबदल संभव
मोदी लहर में भले ही कांग्रेस, उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटें भाजपा के हाथों गंवा बैठी, मगर इसके बाद लगातार चार विधानसभा उप चुनावों में जीत दर्ज कर मुख्यमंत्री हरीश रावत कांग्रेस में अपना सियासी कद बढ़ाने में कामयाब हो गए हैं।
देहरादून (विकास धूलिया)। मोदी लहर में भले ही कांग्रेस, उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटें भाजपा के हाथों गंवा बैठी, मगर इसके बाद लगातार चार विधानसभा उप चुनावों में जीत दर्ज कर मुख्यमंत्री हरीश रावत कांग्रेस में अपना सियासी कद बढ़ाने में कामयाब हो गए हैं।
इन परिस्थितियों में अब यह कमोवेश तय है कि सूबे की कांग्रेस सरकार के बाकी बचे लगभग दो साल के कार्यकाल में रावत बगैर किसी दबाव के फैसले लेंगे। समझा जा रहा है कि इस जीत से हासिल विश्वास के साथ मुख्यमंत्री निकट भविष्य में अपनी टीम में कुछ बदलाव कर सकते हैं।
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मंत्रिमंडल में रिक्त एक सीट पर तो किसी पार्टी विधायक की ताजपोशी होनी ही है। केंद्र में राजग सरकार के दौरान उत्तराखंड उन चुनिंदा राज्यों में शुमार है, जहां कांग्रेस की सरकार है। हालांकि पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड में भी कांग्रेस का सफाया हो गया था मगर इसके बाद चार विधानसभा सीटों के उप चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को चारों खाने चित कर दिया।
केंद्र में कांग्रेस की कमजोर स्थिति के उलट उत्तराखंड में पार्टी की जोरदार उपस्थिति ने मुख्यमंत्री हरीश रावत को मजबूत स्थिति में ला खड़ा किया है। वैसे भी केंद्र में कैबिनेट मंत्री रह चुके रावत को सियासत का माहिर खिलाड़ी माना जाता है। इससे माना जा रहा है कि एक दशक से ज्यादा लंबे समय तक पार्टी के अंदरूनी संघर्ष में जीत हासिल कर मुख्यमंत्री बने हरीश रावत अब फ्रीहैंड फैसले ले सकेंगे।
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इसमें सबसे पहले रावत को अपने मंत्रिमंडल को लेकर निर्णय लेना है। सत्ता के गलियारों से मिल रहे संकेत बताते हैं कि भगवानपुर विधानसभा उप चुनाव निबटते ही मुख्यमंत्री अपनी टीम में फेरबदल कर सकते हैं। पार्टी के अंदरूनी समीकरण और अपने बूते बहुमत तक पहुंच जाने से उपजे आत्मविश्वास के बाद इस तरह की चर्चाओं को बल भी मिल रहा है। सूत्रों की मानें तो मंत्रिमंडल के तीन सदस्यों को बदला जा सकता है।
इनमें सरकार में सहयोगी प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक फ्रंट समेत कांग्रेस के मंत्री भी शामिल बताए जा रहे हैं। मंत्रिमंडल में एक स्थान पहले से ही रिक्त चला आ रहा है। सूत्रों का कहना है कि मंत्रिमंडल में वरिष्ठ विधायकों को ही जगह दी जाएगी। इनमें बहुगुणा खेमे के दो विधायकों के अलावा दो वरिष्ठ विधायकों, जो पूर्व में मंत्री भी रह चुके हैं, के नाम लिए जा रहे हैं।
हालांकि पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि मुख्यमंत्री संभवतया एक साथ इतने मंत्रियों को बदलने का जोखिम नहीं उठाएंगे। यही नहीं, पीडीएफ के कोटे में बड़ी कटौती करना भी किसी चुनौती से कम नहीं, क्योंकि ऐसा होने पर कांग्रेस पर सहयोगियों के साथ अहसानफरामोशी का आरोप लग सकता है। इसके बावजूद यह तय माना जा रहा है कि अगर मुख्यमंत्री अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल करेंगे, तो यही इसके लिए सबसे उपयुक्त समय है।