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गुलजार को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार

'तुझसे नाराज नहीं जिंदगी' और 'तेरे बिना जिंदगी से कोई शिकवा नहीं'. जैसे गीतों के रचनाकार और मशहूर फिल्म निर्देशक गुलजार को प्रतिष्ठित दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया है। भारत में फिल्मी हस्तियों को दिया जाने वाला यह सर्वोच्च सम्मान है। इससे पहले अभिनेता जीतेंद्र का नाम इस पुरस्कार के लिए लिया जा रहा था। 'आंधी', 'मौसम

By Edited By: Published: Sun, 13 Apr 2014 05:18 AM (IST)Updated: Sun, 13 Apr 2014 09:05 AM (IST)
गुलजार को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार

नई दिल्ली। 'तुझसे नाराज नहीं जिंदगी' और 'तेरे बिना जिंदगी से कोई शिकवा नहीं'. जैसे गीतों के रचनाकार और मशहूर फिल्म निर्देशक गुलजार को प्रतिष्ठित दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया है। भारत में फिल्मी हस्तियों को दिया जाने वाला यह सर्वोच्च सम्मान है। इससे पहले अभिनेता जीतेंद्र का नाम इस पुरस्कार के लिए लिया जा रहा था।

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'आंधी', 'मौसम', 'मेरे अपने', 'कोशिश', 'खुशबू', 'अंगूर', 'लिबास' और 'माचिस' जैसी फिल्मों का निर्देशन कर चुके 79 वर्षीय गुलजार यह सम्मान प्राप्त करने वाले 45वें व्यक्ति हैं। सूचना व प्रसारण मंत्रालय से जारी बयान के अनुसार, प्रतिष्ठित कलाकारों की सात सदस्यीय ज्यूरी ने एकमत पुरस्कार के लिए गुलजार के नाम की सिफारिश की। साहित्य में योगदान के लिए उन्हें वर्ष 2002 में साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया जा चुका है। इसके बाद वह वर्ष 2004 में पद्म भूषण, वर्ष 2009 में फिल्म स्लमडॉग मिलियनेयर के गीत 'जय हो' के लिए सर्वश्रेष्ठ मौलिक गीत का ऑस्कर और वर्ष 2010 में ग्रैमी पुरस्कार भी हासिल कर चुके हैं। क ई राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों के साथ 20 फिल्म फेयर पुरस्कार भी उनके नाम हैं।

पाकिस्तान में हुआ था जन्म :

विभाजन पूर्व पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में वर्ष 1934 में जन्मे गुलजार का नाम संपूर्ण सिंह कालरा है। उनका परिवार विभाजन की त्रासदी के बाद अमृतसर आ गया लेकिन गुलजार मुंबई आ गए। एक गैराज में मैकेनिक के तौर पर काम करने लगे। खाली वक्त में वह कविताएं लिखते थे। उनके तीन कविता संग्रह 'चांद पुखराज का', 'रात पश्मीने की' , 'पंद्रह पांच पचहत्तर' और दो लघु कथाएं 'रावी पार' और 'धुंआ' प्रकाशित हो चुकी हैं। गुलजार के फिल्मी करियर की शुरुआत वर्ष 1956 में बिमल रॉय की फिल्म बंदिनी से हुई, जिसके लिए उन्होंने गीत लिखे।

बॉलीवुड की प्रतिक्रिया :

- गुलजार और अभिनेत्री राखी की बेटी मेघना गुलजार ने कहा कि उन्हें गुलजार की बेटी होने पर गर्व है।

- स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने ट्विटर पर लिखा, नमस्कार। निर्देशक, लेखक और गीतकार गुलजार साहब को प्रतिष्ठित दादा साहेब फाल्के पुरस्कार के लिए चुने जाने पर तहे दिल से शुभकामनाएं। 1977 में आई फिल्म किनारा में उनका लिखा गीत 'नाम गुम जाएगा' मेरा सबसे पसंदीदा गीत है।

- पा‌र्श्व गायिका आशा भोसले ने कहा, दादा साहेब फाल्के के लिए मुबारकबाद।

- गायिका रेखा भारद्वाज ने पति व फिल्मकार विशाल भारद्वाज के साथ गुलजार को बधाई दी।

- अभिनेता अनुपम खेर ने कहा, जय हो, जय हो, जय हो।

गुलजार ने कहा..

यह मेरे लिए बहुत सम्मान की बात है। मुझे खुशी है कि इस बार काले कोट की दिक्कत नहीं रहेगी। जब बुलावा आएगा, मैं इस सम्मान को लेने दिल्ली जरूर जाऊंगा।

गौरतलब है कि वर्ष 2009 में फिल्म 'स्लमडॉग मिलियनेयर' के गीत 'जय हो' के लिए ऑस्कर पुरस्कार मिला था। लेकिन वह पुरस्कार लेने सिर्फ इसलिए नहीं गए क्योंकि वे काला सूट यानी इस आयोजन का औपचारिक सूट पहनने को तैयार नहीं थे।

पढ़ें : प्राण के घर पहुंचा फाल्के सम्मान


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