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तैरकर स्कूल जाते थे बच्चे, पर रिजल्ट आया सबसे खराब

गुजरात के एक स्कूल में इस वर्ष 358 बच्‍चों ने दसवीं की परीक्षा दी थी, लेकिन उनमें से सिर्फ 69 ही उत्तीर्ण हो पाए हैं।

By kishor joshiEdited By: Published: Wed, 25 May 2016 11:42 AM (IST)Updated: Wed, 25 May 2016 12:13 PM (IST)
तैरकर स्कूल जाते थे बच्चे, पर रिजल्ट आया सबसे खराब

वडोदरा। 2014 में अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने बताया था कि गुजरात के उतावली गांव में स्थित श्री मस्तराम विनय हायर सेकेंड्री स्कूल में बच्चे किस तरह हर दिन नदी में तैरकर पढ़ने के लिए आते हैं, लेकिन यहां का उत्तीर्ण प्रतिशत राज्य में सबसे खराब रहा है। यहां के सिर्फ 19.27% विद्यार्थी ही पास हो सके हैं।

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इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, इसी वर्ष मार्च में हुई 10वीं की परीक्षा के दौरान इस स्कूल के 358 बच्चे परीक्षा में शामिल हुए। लेकिन उनमें से केवल 69 ही उत्तीर्ण हो पाए हैं। गुजरात सेकेंड्री एंड हायर सेकेंड्री एजूकेशन बोर्ड के मुताबिक 2015 में इस स्कूल का उत्तीर्ण प्रतिशत 45.21% था।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा राज्य के मुख्य सचिव को नोटिस देने के बाद अगस्त 2014 में गुजरात सरकार ने नदी पर पुल बनाने का लम्बित प्रस्ताव पारित कर दिया। 2014 के मॉनसून में न्यूयॉर्क से आए एक एनआरआई दंपत्ति ने बच्चों की मदद के लिए एक मोटरबोट दान की थी तांकि बच्चों को मदद मिल सके। लेकिन 2015 में मानसून फीका रहने की वजह से नदी में पानी की कमी रही और नाव धरी की धरी रह गई। तब से अभी तक 125 से ज्यादा बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया है क्योंकि उनके गांवों के नजदीक ही निजी ट्रस्टों ने दो स्कूल खोल दिए हैं।

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श्री मस्तराम विनय हायर सेकेंड्री स्कूल के प्रिंसपल कांति बारिया ने कहा कि इस शैक्षणिक सत्र में बच्चों पर ज्यादा ध्यान दिया गया था। उन्होंने कहा, "हमारे पास नियमित शिक्षा कर्मी है और परीक्षाओं के लिए हमने छात्रों को अतिरिक्त कोचिंग दी थी। परिणामों से हमें निराशा हुई है, बच्चों ने सही तरीके से पढ़ाई नहीं की।" बारिया के अनुसार, जिन 358 बच्चों ने परीक्षा दी, उनमें से सात तैरकर नदी पार करते थे और उनमें से चार उत्तीर्ण हुए हैं।गुजरात में नर्मदा जिले में सबसे कम उत्तीर्ण प्रतिशत (32.56 फीसद) रहा।


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