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बच्चों की मौत के मामले में दोषी बख्शे नहीं जाएंगे : योगी

गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत के मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सरकार पूरे मामले की जांच करा रही है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 13 Aug 2017 07:24 AM (IST)Updated: Sun, 13 Aug 2017 07:24 AM (IST)
बच्चों की मौत के मामले में दोषी बख्शे नहीं जाएंगे : योगी
बच्चों की मौत के मामले में दोषी बख्शे नहीं जाएंगे : योगी

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत के मामले में शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सीजन में इंसेफ्लाइटिस और एनआइसीयू (नियोनेटल इंटेसिव केयर यूनिट) में इतनी मौतें सामान्य हैं। सरकार पूरे मामले की जांच करा रही है। घटना में दोषी किसी को बख्शा नहीं जाएगा। केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल, प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह और चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन के साथ मीडिया से रूबरू मुख्यमंत्री ने सात से ११ अगस्त तक हुई मौतों का ब्योरा रखा और मीडिया से कहा कि सही तथ्यों को सामने लाएं।

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 मुख्यमंत्री ने कहा कि इंसेफ्लाइटिस मेरे लिए भावनात्मक मुद्दा है। मैंने 1998 से इस मुद्दे को लेकर संसद से सड़क तक संघर्ष किया। मृत मासूमों के परिजनों के साथ मेरी पूरी संवेदना है। सच जानने के लिए मजिस्ट्रीयल जांच जारी है। इसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि वह रविवार को मेडिकल कॉलेज के दौरे पर जाऊंगी। दौरे के बाद केंद्र को अपनी रिपोर्ट दूंगी। यह प्रदेश सरकार द्वारा भेजी गई रिपोर्ट के अतिरिक्त होगी। यह भी कहा कि घटना से प्रधानमंत्री बेहद आहत हैं।

 मुख्यमंत्री ने इसके बाद गोरखपुर से लौटे स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह को आगे किया। उन्होंने 2014 से 2017 के अगस्त का आंकड़ा देते हुए बताया कि इतनी मौतें होना सामान्य है। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि पुष्पा सेल्स के पास आक्सीजन सप्लाई करने का अधिकार नहीं था। यह जिम्मा नागपुर की कंपनी को दिया गया था लेकिन गड़बड़ी से यह कंपनी बीच में आ गई।

 अब बारी चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन की थी। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन के भुगतान के बारे में आपूर्तिकर्ता ने एक अगस्त को बीआरडी के प्रधानाचार्य को पत्र लिखा था। प्रधानाचार्य की ओर से डीजीएमइ को यह पत्र चार अगस्त को भेजा गया। पांच अगस्त को 68 लाख रुपये से कुछ अधिक भुगतान के सापेक्ष प्रधानाचार्य को दो करोड़ रुपये दिये गए। बावजूद इसके उन्होंने आपूर्तिकर्ता कंपनी को ११ को भुगतान किया। इसे लापरवाही मानते हुए उनको निलंबित कर दिया गया।

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