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एक देश-एक टैक्स पर आठ घंटे से ज्यादा चली बहस, लोकसभा में जीएसटी पारित

लोकसभा में जीएसटी बिल पास हो गया। इससे जुड़े चारों संशोधित विधेयक सर्वसम्मति से पारित हो गए । बुधवार को अरुण जेटली ने इस बिल के महत्व को बताया।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Wed, 29 Mar 2017 08:39 PM (IST)Updated: Wed, 29 Mar 2017 10:12 PM (IST)
एक देश-एक टैक्स पर आठ घंटे से ज्यादा चली बहस, लोकसभा में जीएसटी पारित

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । लोकसभा में जीएसटी बिल पास हो गया। इससे जुड़े चारों संशोधित विधेयक सर्वसम्मति से पारित हो गए । बुधवार को अरुण जेटली ने इस बिल के महत्व को बताया। सदन में आठ घंटे इस बिल पर सार्थक बहस हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर ट्वीट कर बधाई दी है। उन्होंने कहा कि 'जीेएसटी बिल पास होने पर सभी देशवासियों को बधाई, नया साल, नया कानून, नया भारत'।  लोकसभा से जीएसटी बिल पारित होने के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि अप्रत्यक्ष कर सुधार के मामले में एक नई शुरुआत हुई है।  उन्होंने कहा कि सरकार को उम्मीद है कि एक जुलाई से जीएसटी को अमल में लाए जाने में कामयाबी मिलेगी। 

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साथ ही आर्थिक मामलों के सचिव शशिकांत दास ने ट्वीट कर कहा कि यह एक एेतिहासिक पल है, जीएसटी से जुड़े चार विधेयक पास हो गए, भाग्यशाली हूं कि बदलाव का हिस्सा हूं। दूसरी तरफ वित्त सचिव हंसमुख अधिया ने ट्वीट किया कि मैं उन सभी को बधाई देता हूं जिन्होंने बीते दस सालों से इस मील के पत्थर को पाने के लिए अथक परिश्रम किया।

ये थे चार संशोधित विधेयक

लोक सभा ने पारित किए जीएसटी के लिए जरूरी चार विधेयक। इन विधेयकों को दी मंजूरी

1.केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) विधेयक 2017

2. एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (आइजीएसटी) विधेयक 2017

3. वस्तु एवं सेवा कर (राज्यों को क्षतिपूर्ति) विधेयक, 2017

4. संघ राज्य क्षेत्र वस्तु  

एक राष्ट्र, एक कर का विचार आखिरकार साकार होने की तरफ एक कदम और बढ़ गया। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का विचार 11 साल पहले आया था लेकिन राजनीतिक सहमति न बनने के कारण इसे मूर्तरूप नहीं दिया जा सका।

तत्कालीन संप्रग सरकार के प्रथम कार्यकाल के दौरान वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आम बजट 2006-07 पेश करते हुए देश में परोक्ष कर व्यवस्था में सुधार करने के लिए जीएसटी लाने का विचार दिया था। चिदंबरम ने इसे एक अप्रैल 2010 से लागू करने का लक्ष्य भी रखा लेकिन यह संभव नहीं हुआ। राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति के अनुभव को देखते हुए जीएसटी के लिए रोडमैप तैयार करने को कहा गया था। इसे जीएसटी की संरचना भी तैयार करने को कहा गया लेकिन यह कवायद अधूरी ही रही। इसके बाद नौकरशाही को भी जीएसटी का ढांचा तैयार करने के लिए जोड़ा गया। केंद्र और राज्यों के अधिकारियों के कार्यकारी दल गठित किए गए।

यब बी पढ़ें:  किस वस्तु व सेवा पर कितना लगेगा जीएसटी, समिति करेगी तय

इन दलों ने जीएसटी से छूट की सीमा, सेवाओं पर टैक्स, अंतर-राज्य आपूर्ति पर टैक्स जैसे मुद्दों पर अपनी रिपोर्ट दीं। इस तरह केंद्र और राज्य सरकारों के साथ परामर्श के आधार पर राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति ने नवंबर 2009 में जीएसटी पर पहला विचार पत्र जारी किया। इस दस्तावेज में प्रस्तावित जीएसटी की खूबियों का खाका खींचा गया और यही दस्तावेज आगे चलकर केंद्र तथा राज्यों के बीच विचार विमर्श का आधार बना। अधिकार प्राप्त समिति में कई दौर की वार्ता हुई। कई बार इसके अध्यक्ष बदले गए।

राजग सरकार के कार्यकाल में 19 दिसंबर 2014 को जीएसटी के लिए जरूरी संविधान 122वां संशोधन विधेयक लोक सभा में पेश किया। लोक सभा ने मई 2015 में इस विधेयक को पारित कर दिया। इसके बाद यह संविधान संशोधन विधेयक राज्य सभा की प्रवर समिति को भेज दिया गया। समिति ने जुलाई 2015 में अपनी रिपोर्ट दी। इस तरह करीब एक साल बाद यह विधेयक अगस्त 2016 में पहले राज्य सभा और फिर लोक सभा से पारित हुआ। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने 8 सितंबर 2016 को इस संविधान संशोधन को मंजूरी दी और 16 सितंबर 2016 से यह 101वें संविधान संशोधन के रूप में प्रभाव में आया।

इस संविधान संशोधन विधेयक के जरिए संविधान में जीएसटी लागू करने के संबंध में जरूरी प्रावधान जोड़ दिए गए। इसमें एक महत्वपूर्ण प्रावधान जीएसटी काउंसिल के गठन का था। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली जीएसटी काउंसिल में सभी राज्यों के वित्त मंत्री बतौर सदस्य शामिल हैं। जीएसटी काउंसिल ने दर्जनभर बैठकें करने के बाद जीएसटी के पांच विधेयकों के मसौदों को मंजूरी दी। ये पांच विधेयक - केंद्रीय जीएसटी, राज्य जीएसटी, एकीकृत जीएसटी, यूटीजीएसटी और जीएसटी क्षतिपूर्ति विधेयक हैं। इनमें से चार विधेयकों को लोक सभा ने बुधवार को मंजूरी दे दी है जबकि एक- राज्य जीएसटी विधेयक को राज्यों की विधानसभाएं मंजूरी देंगी। इसके बाद एक जुलाई 2017 से लागू होगा।

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