जीएसटी कानून नहीं देगी CAG को विशेष पावर, काउंसिल ने ठुकराई कैग की मांग
जीएसटी कानून लागू होने पर इसमें कैग को विशेष पावर देने की मांग को जीएसटी काउंसिल ने खारिज कर दिया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने पर कैग को जीएसटी कानून के तहत राजस्व की सूचनाएं प्राप्त करने के लिए अलग से विशेष शक्तियां प्राप्त नहीं होंगी। जीएसटी काउंसिल ने इस संबंध में कैग की मांग ठुकरा दी है। काउंसिल का कहना है कि राजस्वग प्राप्ति के संबंध में सूचनाएं प्राप्त करने के लिए कैग को पहले ही सीएजी कानून के तहत शक्तियां प्राप्त हैं, इसलिए कर जीएसटी मॉडल कानून में अलग से उनका अलग से प्रावधान नहीं किया जा सकता।
वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यूक्षता में जीएसटी काउंसिल की 10वीं बैठक में कैग की उस मांग के संबंध में विचार विमर्श किया गया। बैठक के बाद जेटली ने कहा कि कैग को पहले से ही सीएजी कानून के तहत सरकार से लोक वित्त के संबंध में कोई भी सूचना प्राप्त करने की शक्तियां प्राप्त हैं।
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काउंसिल के सदस्यों ने महसूस किया कि इस तरह की शक्तियां पहले से ही सीएजी कानून में हैं तो फिर इसे अलग से नहीं दी जा सकती। जेटली ने सवालिया लहजे में कहा कि जब आयकर कानून में भी ऐसी शक्तियां सीएजी को अलग से नहीं दी गयी हैं तो फिर परोक्ष कर के संबंध में क्यों दी जाए।
उल्लेयखनीय है कि जीएसटी काउंसिल ने अपनी छठी बैठक में 11 दिसंबर, 2016 को मॉडल जीएसटी कानून से धारा 65 को हटाने का फैसला किया था जिसमें सीएजी को जीएसटी से राजस्व प्राप्ति के संबंध में किसी भी तरह की सूचनाएं मांगने की शक्ति दी गयी थी। काउंसिल ने इसकी जानकारी कैग को दी जिसके बाद सीएजी शशिकांत शर्मा ने यह मुद्दा सरकार के समक्ष उठाया और सीएजी की शक्तियों के संबंधित प्रस्तािवित प्रावधान को बरकरार रखने का आग्रह किया। यही वजह है कि सरकार ने शनिवार को हुई जीएसटी काउंसिल की 10वीं बैठक में राज्यों के समक्ष एक बार पुन: धारा 65 को रखा लेकिन काउंसिल इस पर सहमत नहीं हुई।
कुछ मुद्दों को लेकर रही असहमति
जीएसटी काउंसिल की दसवीं बैठक में जहां क्षतिपूर्ति विधेयक के मसौदे को सर्वसम्मति से अंतिम रूप दिया गया वहीं कुछ मुद्दों पर असहमति भी रही। बताया जाता है कि गैर-भाजपा शासित राज्यों के विरोध के चलते जीएसटी काउंसिल को पिछली बैठक के मिनट्स में से कुछ बिन्दु हटाने पड़े। वैसे यह पहला मौका है जब काउंसिल में इस तरह राज्यों के ऐतराज के बाद उन बिन्दु्ओं को हटाया गया हो जिन पर आम राय बन चुकी है।
सूत्रों का कहना है कि जीएसटी काउंसिल की 9वीं बैठक में दोहरे नियंत्रण का समाधान करते हुए इस बात पर सहमति बनी थी कि सालाना डेढ़ करोड़ रुपये से कम कारोबार वाले व्यारपारियों में से 90 प्रतिशत राज्यों का नियंत्रण होगा जबकि शेष 10 प्रतिशत केंद्र के अधीन आएंगे। डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार वाले कारोबारी 50:50 के अनुपात में केंद्र और राज्योंड के बीच वितरित हो जाएंगे।
हालांकि शनिवार को जब जीएसटी काउंसिल की 10वीं बैठक में पिछली बैठक के मिनट रखे गए तो उसमें एक बिन्द यह भी जोड़ दिया गया कि अगर कोई राज्य चाहे तो केंद्र के साथ विचार विमर्श कर असेसीज के बंटवारे का भिन्न आधार भी तय कर सकता है। इस बिन्दु को देख गैर-भाजपा शासित राज्यों के मुख्य मंत्रियों ने ऐतराज जताया। मुख्य विरोध पश्चिम बंगाल व केरल की तरफ से था। इसके अलावा भी कुछेक बिन्दुओं को मिनट से हटाने का दावा सूत्रों ने किया।
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