Move to Jagran APP

हरितक्रांति के अगुवा कृषि विश्वविद्यालय हो गये बंजर

देश में तीन राष्ट्रीय कृषि विश्वविद्यालय इंफाल, झांसी और समस्तीपुर में हैं।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Wed, 19 Jul 2017 08:28 PM (IST)Updated: Thu, 20 Jul 2017 08:57 AM (IST)
हरितक्रांति के अगुवा कृषि विश्वविद्यालय हो गये बंजर
हरितक्रांति के अगुवा कृषि विश्वविद्यालय हो गये बंजर

सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। खाद्यान्न मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने वाले कृषि विश्वविद्यालय खुद बंजर में तब्दील होने लगे हैं। देश के कृषि विश्वविद्यालय और कृषि संस्थानों की राष्ट्रीय स्तर पर हुई रैंकिंग में उत्तर भारत के विश्वविद्यालयों की हालत खस्ता हो चुकी है। उत्तर प्रदेश के आधा दर्जन कृषि विश्वविद्यालयों में एक को भी टॉप 30 की सूची में स्थान नहीं मिल पाया है। पहली हरितक्रांति के वाहक पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय की हालत बहुत खराब है।

loksabha election banner

राष्ट्रीय स्तर की रैंकिंग में जिन गुणवत्ता के मापदंड पर कृषि संस्थानों व विश्वविद्यालयों को परखा गया, ज्यादातर राज्यों के संस्थान उस पर खरे नहीं पाये गये। रैंकिंग सूची में देश के 75 कृषि विश्वविद्यालयों को शामिल किया गया, जिनमें चार डीम्ड विश्वविद्यालय, 16 वेटनरी संस्थान, छह बागवानी विश्वविद्यालय और तीन मत्स्य विश्वविद्यालयों को शामिल किया गया। रैंकिंग में उन चार संस्थानों को भी शामिल किया गया है, जो केंद्रीय विश्वविद्यालयों के साथ जुड़े हैं।

इनमें बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, विश्व भारती और नगालैंड प्रमुख हैं। हैरानी की बात यह है कि इनमें से कोई भी कृषि संस्थान न मानक पर खरा उतरा और न ही रैंकिंग सूची में जगह बना पाया। देश में तीन राष्ट्रीय कृषि विश्वविद्यालय इंफाल, झांसी और समस्तीपुर में हैं। उनकी हालत भी कमोबेश वैसी ही है, जैसी राज्यों के बाकी विश्वविद्यालयों की है।

मानक की कसौटी पर कसने के लिए बनी समिति ने पाया कि ज्यादातर संस्थान व विश्वविद्यालय मूलभूत लक्ष्य से भटक गये हैं। महिला विकास के नाम पर ज्यादातर संस्थानों में बिना गुणवत्ता वाली महिला स्नातक तैयार की जा रही हैं, जो भ्रमित हो रही हैं। कृषि अनुसंधान का कार्य ठप सा हो गया है। नई टेक्नोलॉजी का अभाव है। उन्नत बीजों का प्रजनन, जल संरक्षण और टेक्नोलॉजी लिंकेज के मामले में कुछ चुनिंदा विश्वविद्यालयों व संस्थानों को छोड़कर बाकी में कोई काम नहीं हो रहा है।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक कई बड़े नामी गिरामी विश्वविद्यालयों में अनियमितता की हालत इस कदर हो गई है कि उन्होंने पाठ्यक्रमों में किये गये बदलावों को भी लागू नहीं किया है। केंद्र सरकार ने कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि संस्थानों के पाठ्यक्रमों में पर्याप्त संशोधन कर नई सूची तैयार की थी, जिसके लिए डीन कमेटी का गठन किया गया था। सरकार ने उसे मंजूर करते हुए सभी को इस पर अमल करने की हिदायत दी थी। पाठ्यक्रमों में यह संशोधन समय की जरूरत को देखते हुए किया गया है।

यह भी पढ़ें: तमिलनाडु में विधायकों का वेतन भत्ता दोगुना हुआ


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.