महागठबंधन नेताओं के नहीं मिले सुर-ताल, नीतीश के '7 निश्चय' का जिक्र नहीं
पहले चरण के मतदान में सिर्फ पांच दिन शेष हैं, लेकिन जदयू-राजद-कांग्रेस के महागठबंधन की त्रिवेणी को अब तक संगम नहीं मिला। स्वाभिमान रैली अपवाद है। इसके बाद कभी भी महागठबंधन नेता एक मंच पर नहीं आए। महागठबंधन की स्थापना के समय जिन विरोधाभासों की झलक दिखी थी, अब वे
पटना। पहले चरण के मतदान में सिर्फ पांच दिन शेष हैं, लेकिन जदयू-राजद-कांग्रेस के महागठबंधन की त्रिवेणी को अब तक संगम नहीं मिला। स्वाभिमान रैली अपवाद है। इसके बाद कभी भी महागठबंधन नेता एक मंच पर नहीं आए। महागठबंधन की स्थापना के समय जिन विरोधाभासों की झलक दिखी थी, अब वे सतह पर नजर आने लगे हैं। इससे कार्यकर्ताओं के मनोबल पर असर पड़ना स्वाभाविक है।
पहले चरण के लिए मतदान 12 अक्टूबर को होना है। इस चरण में शामिल 49 सीटों के लिए महागठबंधन का संयुक्त प्रचार नहीं हुआ। लालू प्रसाद के साथ न नीतीश कुमार की सभाएं हो रही हैं, न सोनिया-राहुल की सभाओं में नीतीश-लालू जा रहे हैं। संयुक्त प्रचार के बारे में जब महागठबंधन के नेताओं से पूछा जाता है तो वे कुछ-कुछ बोलकर निकलने की कोशिश करने लगते हैं।
स्वाभिमान रैली में सोनिया गांधी ऐन मौके पर आने को तैयार हुई थीं। फिर उनके संबोधन के क्रम को लेकर विवाद हो गया। बाद में राहुल गांधी की चुनाव सभा में महागठबंधन की यह मुसीबत खुलकर सामने आ गई, जब लालू-नीतीश ने इस सभा से किनारा कर लिया। शुरू में राजद सुप्रीमो ने यह एलान किया कि चंपारण में होने वाली राहुल गांधी की सभा में वह भाग नहीं लेंगे। अपनी जगह उन्होंने अपने पुत्र तेजस्वी को राहुल गांधी की सभा में भेज दिया। उस समय तक यह तय था कि राहुल गांधी की सभा में नीतीश कुमार रहेंगे, पर आखिरी समय नीतीश कुमार का कार्यक्रम भी रद हो गया। जदयू की ओर से केसी त्यागी ने राहुल की सभा में भाग लिया था। इसके बाद तो यह चर्चा ही बंद हो गई कि कांग्रेसी दिग्गजों की सभा में महागठबंधन के अन्य घटक जदयू-राजद की ओर कोई भाग लेगा।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की सभाएं उन क्षेत्रों में रखी गईं, जहां महागठबंधन की ओर से कांग्रेस के प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। वैसे नीतीश कुमार की सभाएं जरूर उन क्षेत्रों में हो रही हैं, जहां महागठबंधन के अन्य घटक दलों के प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। इस बारे में जदयू प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह का कहना है कि सभी नेता पहले अलग-अलग घूम लें। इसके बाद संयुक्त प्रचार होगा। वैसे सोनिया-राहुल के साथ संयुक्त सभा पर लालू दो टूक इंकार कर चुके हैं। महागठबंधन के घटक दलों के स्टार प्रचारकों की जो चुनावी सभाएं हो रही हैं, उसमें भी एक-दूसरे से अलग-थलग रहने का भाव दिखता है। लालू प्रसाद अपनी सभाओं में नीतीश कुमार के ‘सात निश्चय’ का जिक्र नहीं कर रहे हैं।