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गैस कीमत वृद्धि का फैसला टला, कंपनियों को लगा झटका

आम लोगों को महंगाई की मार से बचाने के लिए मोदी सरकार ने प्राकृतिक गैस की मूल्यवृद्धि का फैसला तीन माह के लिए टाल दिया है। जनहित में उठाए गए सरकार के इस कदम से रिलायंस जैसी गैस उत्पादक कंपनियों को बड़ा झटका लगा है। ये कंपनियां काफी दिनों से गैस कीमत में वृद्धि की वकालत कर रहीं थीं और पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने प्राकृतिक गैस की कीमतें बढ़ाने का फैसला भी कर दिया था।

By Edited By: Published: Wed, 25 Jun 2014 06:47 PM (IST)Updated: Thu, 26 Jun 2014 09:51 AM (IST)
गैस कीमत वृद्धि का फैसला टला, कंपनियों को लगा झटका

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। आम लोगों को महंगाई की मार से बचाने के लिए मोदी सरकार ने प्राकृतिक गैस की मूल्यवृद्धि का फैसला तीन माह के लिए टाल दिया है। जनहित में उठाए गए सरकार के इस कदम से रिलायंस जैसी गैस उत्पादक कंपनियों को बड़ा झटका लगा है। ये कंपनियां काफी दिनों से गैस कीमत में वृद्धि की वकालत कर रहीं थीं और पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने प्राकृतिक गैस की कीमतें बढ़ाने का फैसला भी कर दिया था। उसी फैसले को मोदी सरकार ने फिलहाल लागू होने से रोक दिया है।

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संप्रग सरकार का फैसला लागू होने पर प्राकृतिक गैस के दाम बढ़कर 4.2 डॉलर प्रति मिलियन थर्मल यूनिट से बढ़कर 8.8 डॉलर हो जाते। ऐसा होने पर इसका व्यापक असर होता। इससे न सिर्फ सीएनजी की कीमत बढ़ती, बल्कि बिजली और खाद की कीमतें भी बढ़ जातीं। प्राकृतिक गैस के साथ-साथ सरकार ने रसोई गैस और केरोसिन की मूल्यवृद्धि का भी कोई प्रस्ताव होने से इन्कार किया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैनिबेट की आर्थिक मामलों संबंधी समिति की बैठक में प्राकृतिक गैस की कीमतों की समीक्षा तीन माह के लिए टालने का फैसला किया गया। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि प्राकृतिक गैस का मौजूदा भाव 4.2 डॉलर प्रति मिलियन थर्मल यूनिट सितंबर तक जारी रहेगा।

उल्लेखनीय है कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने गैस कीमत तय करने के नए फॉर्मूले को मंजूरी दी थी, जो एक जुलाई से लागू होना था। इसके लागू होने पर गैस की कीमत बढ़ जाती। संप्रग सरकार का फैसला पहले एक अप्रैल से लागू होना था, लेकिन आम चुनावों की घोषणा होने के बाद इसे तीन महीने तक टाल दिया गया था।

प्रधान ने कहा कि कैबिनेट की आर्थिक मामलों संबंधी समिति ने तय किया कि इस मुद्दे पर व्यापक विचार विमर्श आवश्यक है। लिहाजा, यह तय हुआ कि सभी संबंधित पक्षों से विचार विमर्श किया जाएगा और जनहित को दिमाग में रखा जाएगा। प्रधान इस मुद्दे पर शुक्रवार से अब तक प्रधानमंत्री के साथ तीन बार बैठक कर चुके हैं। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि क्या सरकार ने इस संबंध में कोई समिति या एक समूह बनाया है?

पीएम के साथ प्रधान के विचार-विमर्श में यह माना जा रहा था कि नई सरकार रंगराजन की अध्यक्षता वाली समिति के फॉर्मूले में कुछ बदलाव करना चाहती है क्योंकि इसके लागू होने पर बिजली की दर में दो रुपये प्रति यूनिट, सीएनजी के दाम 12 रुपये प्रति किलो बढ़ जाएंगे। इसके अलावा उर्वरक सब्सिडी का बोझ भी बढ़ जाएगा।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय और पेट्रोलियम मंत्रालय एक समीक्षा तंत्र तय करेंगे। कैबिनेट बैठक के फैसलों की जानकारी देने को पत्रकारों से मुखातिब हुए प्रधान और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यह नहीं बताया कि क्या सरकार इस फॉर्मूले की समीक्षा करेगी।

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