अल्पसंख्यकों के लिए नए सब्जबाग
अल्पसंख्यकों, खासतौर से मुसलमानों की शैक्षिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति से सरकार वाकिफ तो पहले से ही थी, लेकिन चुनावी साल में वह उनकी ऊंची तालीम को लेकर कुछ ज्यादा ही फिक्रमंद दिखने लगी है। सरकार की नजर इस बार उच्च शिक्षा के नजरिए से अल्पसंख्यक बहुल जिलों पर है।
नई दिल्ली [राजकेश्वर सिंह]। अल्पसंख्यकों, खासतौर से मुसलमानों की शैक्षिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति से सरकार वाकिफ तो पहले से ही थी, लेकिन चुनावी साल में वह उनकी ऊंची तालीम को लेकर कुछ ज्यादा ही फिक्रमंद दिखने लगी है। सरकार की नजर इस बार उच्च शिक्षा के नजरिए से अल्पसंख्यक बहुल जिलों पर है। महज आठ महीने में ही वह इन जिलों में बहुत कुछ कर गुजरना चाहती है। इतने कम समय में वह क्या कर पाएगी, यह तो बाद में पता चलेगा, लेकिन इरादा अगले मार्च तक ही अल्पसंख्यक बहुल जिलों में सौ से अधिक गर्ल्स हॉस्टल बनाने और दर्जनभर से अधिक मॉडल डिग्री कॉलेज खोलने का है।
मुस्लिम समुदाय की शैक्षिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर सच्चर कमेटी की रिपोर्ट नवंबर, 2006 में आई थी। मुसलमानों की तालीम और तरक्की के लिए सरकार के पास उनकी स्थिति का सबसे सटीक आईना यह रिपोर्ट ही है। इस रिपोर्ट के बाद ही हालांकि सरकार ने देश के 90 अल्पसंख्यक बहुल जिलों में बहुक्षेत्रीय विकास कार्यक्रम चला रखा है। लेकिन, अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों और लड़कियों की उच्च शिक्षा के मामले में वह सात साल बाद चेत सकी। उसे फिक्र है कि मुस्लिम समुदाय की साक्षरता दर 59 प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीय साक्षरता दर 64.8 प्रतिशत है। लिहाजा, देश के सामाजिक व आर्थिक मामले में समावेशी विकास के लिए उच्च शिक्षा में उनकी भी पर्याप्त भागीदारी जरूरी है।
सरकार ने इन्हीं तर्को के साथ अल्पसंख्यक बहुल जिलों में 13 मॉडल डिग्री कॉलेज खोलने और लड़कियों को पढ़ने के ज्यादा बेहतर अवसर देने के लिए 101 गर्ल्स हॉस्टल बनाने का फैसला किया है। किस राज्य के किस जिले में मॉडल डिग्री कॉलेज खुलेंगे और हॉस्टल बनेंगे, यह अभी तय नहीं है। अभी राज्यों से प्रस्ताव तक नहीं आ सके हैं, लेकिन केंद्र ने इस साल के लिए अपनी योजना जरूर बना ली है। इस सपने को जमीन पर उतारने के लिए सरकार सोमवार को राज्यों के उच्च शिक्षा व तकनीकी शिक्षा सचिवों से मशविरा करेगी।
अल्पसंख्यक बहुल जिलों में दो नए पॉलीटेक्निक भी खोले जाने हैं। इसके लिए दिल्ली और अरुणाचल प्रदेश को चुना जा सकता है। बशर्ते, दोनों ही राज्य सरकारें मुफ्त में जमीन देने और खर्च में भागीदारी के लिए राजी हों।
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