लोकपाल के दायरे से फिलहाल NGO और सरकारी कर्मचारियों को राहत
लोकपाल संशोधन विधेयक को लोकसभा से मंजूरी मिलने के बाद फिलहाल एनजीओ और सरकारी कर्मचारियों को राहत मिल गयी है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। लोकपाल के दायरे से फिलहाल एनजीओ को राहत मिल गई है। लोकपाल संशोधन विधेयक को मंजूरी देते हुए लोकसभा ने एनजीओ और सरकारी कर्मचारियों को 31 जुलाई तक अपनी सभी संपत्तियों और देनदारियों के खुलासे से राहत दे दी है।
हालांकि यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि स्थायी समिति अगर इसके खिलाफ मत देती है तो फिर वही माना जाएगा। बुधवार को एकबारगी लोकपाल में संशोधन पेश कर दिया गया। हालांकि माकपा और तृणमूल कांग्रेस ने इसका विरोध किया लेकिन कांग्रेस समेत दूसरे दल इससे सहमत थे।
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दरअसल सरकार ने पहले ही विभिन्न दलों के नेताओं से संपर्क कर लिया था। संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने जानकारी दी कि कुछ सांसदों के प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री से भी आग्रह किया था और संशोधन उसी को ध्यान में रखते हुए लाया गया है। सरकार भ्रष्टाचार से कोई समझौता नहीं कर सकती है।
संशोधन पारित होने से एनजीओ और सरकारी कर्मचारियों को थोड़ी राहत मिली है। दरअसल पुराने लोकपाल विधेयक में एनजीओ के उच्च पदाधिकारियों को सरकारी नौकर माना गया था और इस लिहाज से उनके लिए पूरी संपत्ति और देनदारी घोषित करना जरूरी था। 31 जुलाई तक यह किया जाना था। संशोधन के बाद उन्हें राहत मिल गई है।
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हालांकि सरकार की ओर से तत्काल यह भी स्पष्ट कर दिया गया कि इस मसले पर स्थायी समिति फैसला लेगी। इस समिति में विपक्ष के नेता भी शामिल हैं। अगले सत्र में स्थायी समिति अपनी रिपोर्ट पेश करेगी और उसकी भावना को देखते हुए आगे का निर्णय लिया जाएगा। यानी वस्तुत: एनजीओ और सरकारी कर्मचारियों को तब तक की मोहलत मिली है।