बेरोजगारी के डर से ड्राइवरलेस कारों को अनुमति नहीं देगी सरकार
गडकरी ने कहा कि सरकार ओला और ऊबर जैसी टैक्सी एग्रीगेटर कंपनियों के एकाधिकार और मनमानी को समाप्त करना चाहती है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भारत में किसी ड्राइवरलेस कार को अनुमति नहीं दी जाएगी। ड्राइवरलेस कार बेरोजगारी पैदा करती है। यदि इसे अनुमति दी गई तो देश में बेरोजगारी बढ़ने का खतरा है। इसके बजाय सरकार ऐसी जीपीएस आधारित टैक्सी सेवाओं को बढ़ावा देगी जिसमें छोटे-बड़े सभी लोगों को सस्ती टैक्सी सेवाएं शुरू करने का मौका मिले। इससे ओला और ऊबर जैसी एग्रीगेटर कंपनियों का एकाधिकार एवं मनमानी खत्म करने में मदद मिलेगी।
केंद्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने इस बात के संकेत दिए। अनौपचारिक बातचीत के दौरान संवाददाताओं ने उनसे पूछा था कि टेस्ला, गूगल, वोल्वो, फोर्ड और जनरल मोटर्स जैसी वैश्र्विक कंपनियां ड्राइवरलेस कार के विकास और परीक्षण पर काम कर रही हैं। भारत में टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा एलेक्सी भी इस दिशा में काम कर रही है। यदि ये प्रयोग पूरी तरह सफल होते हैं तो क्या ड्राइवरलेस कारों को भारत सरकार अनुमति देगी।
संवाददाताओं के साथ अनौपचारिक चर्चा में गडकरी ने कहा कि उनका इरादा देश में ऐसी प्रदूषण मुक्त इलेक्ट्रिक बाइकें लाने का है, जिनका उपयोग टैक्सी के रूप में भी किया जा सके। एक आटोमोबाइल कंपनी ने ऐसी बाइक बना भी ली है। कोई भी व्यक्ति इन बाइक का उपयोग टैक्सी सेवा के रूप में कर सकता है।
गडकरी ने कहा कि सरकार ओला और ऊबर जैसी टैक्सी एग्रीगेटर कंपनियों के एकाधिकार और मनमानी को समाप्त करना चाहती है। इसके लिए जल्द ही एक जीपीएस आधारित ऐप लांच किया जाएगा। इसके जरिए कोई भी व्यक्ति किसी भी साधारण टैक्सी की बुकिंग घर बैठे करा सकेगा। इससे बाइक टैक्सी की भी बुकिंग की जा सकेगी। इससे आम लोगों के लिए ओला, ऊबर जैसी टैक्सी सर्विस चलाने का रास्ता खुल जाएगा। यह स्कीम देश में पचास लाख लोगों के लिए रोजगार के दरवाजे खोलेगी।
एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा देश में बढ़ते वाहन प्रदूषण में कमी लाने के लिए कि सरकार इलेक्टि्रक, एलएनजी, एथनाल व मेथनाल आधारित वाहनों को बढ़ावा देगी। इसके लिए एथनाल व मेथनाल उत्पादन के अलावा फ्लेक्स इंजनों के देश में निर्माण को बढ़ावा दिया जाएगा। इन इंजनों में पेट्रोल, डी़जल के साथ अथवा अलग से एथनाल या मेथनाल का इस्तेमाल संभव होता है। विश्व के कई देशों में इस तरह के इंजनों का निर्माण हो रहा है। उन कंपनियों को भारत में इंजन बनाने के लिए आमंत्रित किया जाएगा। भारतीय कंपनियां भी संयुक्त उद्यमों के जरिए इन इंजनों का निर्माण कर सकती है। सरकार इन इंजनों का आयात नहीं चाहती इसलिए आयात शुल्क में कोई छूट नहीं मिलेगी।
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