विलफुल डिफॉल्टर पर कार्यवाही की तैयारी, सरकार कर रही विधेयक का मसौदा तैयार
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया है कि सरकार जान बूझकर बैंक का कर्ज नहीं चुकाने वालों पर सख्त कार्रवाई करेगी
नई दिल्ली (जेएनएन)। चिटफंड में पैसा लगाने वाले लोगों को धोखाधड़ी का शिकार होने से बचाने के लिए सरकार एक कानून का मसौदा तैयार कर रही है। वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि सरकार जल्द ही इसके लिए एक विधेयक संसद में पेश करेगी। जेटली गुरुवार को लोकसभा में ‘बैंकिंग नियमन (संशोधन) विधेयक-2017’ पर चर्चा का जवाब दे रहे थे।
वित्त मंत्री ने कहा कि चिटफंड के संबंध में पहले से मौजूद राज्यों के कानूनों के साथ ही देशभर में इस विषय पर एक कानून बनाने की जरूरत है। चर्चा के बाद लोकसभा ने बैंकिंग नियमन विधेयक को पारित कर दिया। इस विधेयक के जरिये सरकार ने फंसे कर्ज (एनपीए) के मामले सुलझाने के लिए केंद्रीय बैंक को शक्तियां प्रदान की हैं।
विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्षी सदस्यों ने चिट फंड का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इससे बहुत से निवेशक फ्रॉड (धोखाधड़ी) के शिकार हो रहे हैं। सदस्यों ने इस संबंध में वित्त मंत्री से यह भी जानना चाहा था कि सरकार इससे निपटने के लिए किस तरह तैयारी कर रही है।
धीरे धीरे कम होगी ब्याज दरें
वित्त मंत्री ने कहा कि धीरे-धीरे ब्याज दरें नीचे आएंगी। 14-15 प्रतिशत ब्याज दर से भारत वैश्विक बाजार में गैर-प्रतिस्पर्धी हो जाएगा। उद्योग जगत इतनी ऊंची दर पर निवेश नहीं कर सकता। केंद्र सरकार ने निवेशकों को स्थिर ब्याज दरें उपलब्ध कराने के लिए कई कदम उठाए हैं ताकि वे चिट फंड जैसी योजनाओं में पैसा लगाने के लिए न फंसे।
फंसे कर्ज का जल्द होगा समाधान
वित्त मंत्री ने कहा कि फंसे कर्ज के मामलों का समाधान जल्द शुरू होगा। रिजर्व बैंक ने इस दिशा में कदम उठाया है। आने वाले समय में केंद्रीय बैंक कई मामलों को हल करेगा। आरबीआइ पहले ही 12 लोन डिफॉल्टरों की पहचान कर चुका है। इनके मामले हल किए जा रहे हैं। सरकार की प्राथमिकता कंपनियों और नौकरियों को बचाने की है। हालांकि जान बूझकर बैंकों का कर्ज नहीं चुकाने वालों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जो लोग फ्रॉड में लिप्त हैं, बैंक उनके खिलाफ सख्त कदम उठाएंगे। सार्वजनिक क्षेत्र के जो बैंक फंसे कर्ज के मामलों को सुलझाने के लिए जिस तरह के कदम उठा रहे हैं, उसके बारे में उन्हें आशंका है कि कहीं भविष्य में जांच एजेंसियां उनके फैसलों पर सवाल नहीं उठाएं।