उज्ज्वला योजना लागू करने में कोताही नहीं होगी बर्दाश्त
दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों में गृहणियों को एलपीजी गैस उपलब्ध करवाने वाली उज्जवला योजना पर सरकार कोई कोताही नहीं बरतेगी। लिहाजा इसपर कड़ी निगाह रखी जाएगी।
नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। गांवों और दूर-दराज के इलाकों में रहने वाली पांच करोड़ गृहणियों को एलपीजी गैस देने की उज्ज्वला योजना में सरकार कोई कोताही नहीं बरतना चाहती। इसलिए इसे लागू करने के पुख्ता इंतजामों के साथ सरकार इसकी निगरानी का भी फुल प्रूफ तरीका अपना रही है। देश के 674 जिलों में इसे लागू करने पर खास ध्यान दिया जा रहा है।
उज्ज्वला योजना न सिर्फ गृहणियों को लकड़ी के चूल्हे से मुक्ति दिलाने का एक बड़ा अभियान है बल्कि इसके राजनीतिक फायदे भी कम नहीं है। योजना के तहत एक वर्ष के भीतर गरीबी रेखा के नीचे रहने वाली 1.5 करोड़ गृहणियों को रसोई गैस कनेक्शन मिलेगा। अगले साल उत्तर प्रदेश जैसे चुनावी राज्यों में यह एक अहम राजनीतिक मुद्दा भी बन सकता है। योजना के फायदे ज्यादा से ज्यादा घरों तक पहुंचाने के लिए जिलों में एक को-ऑर्डिनेटर की नियुक्ति की जा रही है। तेल कंपनियों की तरफ से नियुक्त होने वाले यह अधिकारी कंपनियों और स्थानीय प्रशासन के बीच कड़ी की भूमिका निभाएंगे।
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तेल कंपनियों ने इस योजना की वजह से एलपीजी की बढ़ती मांग के मद्देनजर आपूर्ति बढ़ाने की तैयारी भी शुरू कर दी है। इसके लिए कई नए बॉटलिंग प्लांट लगाए जाएंगे। इंडियन ऑयल के एक अधिकारी के मुताबिक, देश की एलपीजी बॉटलिंग क्षमता अभी 15 हजार मीट्रिक टन सालाना है। इसमें हर वर्ष 10 फीसद की बढ़ोतरी करनी है। एलपीजी आयात में भी भारी वृद्धि होने की संभावना है। लिहाजा इंडियन ऑयल कोचीन, दहेज और पारादीप में आयातित एलपीजी की नई स्टोरेज सुविधा लगा रही है। जबकि भारत पेट्रोलियम हल्दिया में अपनी नई सुविधा लगा रही है। निजी तेल कंपनियों ने भी एलपीजी आयात बढ़ाने के संकेत दिए हैं। देश में दस हजार नई एलपीजी एजेंसियां खोलने का काम भी शुरू किया जा रहा है। सरकार का मानना है कि उज्ज्वला योजना से दो से तीन लाख लोगों को परोक्ष तौर पर रोजगार मिलेगा।