अरुण जेटली का कांग्रेस पर निशाना, देश ने चुकाई आपातकाल की कीमत
राज्यसभा में पहले संविधान दिवस पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बहस की शुुरुआत की। उन्होंने कहा कि देश ने आपातकाल की बड़ी कीमत चुकाई है। लेकिन कांग्रेस जवाब देने की जगह खामोश हो जाती है।
नई दिल्ली। राज्यसभा में पहले संविधान दिवस पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बहस की शुुरुआत की। उन्होंने कहा कि देश ने आपातकाल की बड़ी कीमत चुकाई है। लेकिन कांग्रेस जवाब देने की जगह खामोश हो जाती है। जर्मनी का उदाहरण देते हुए कहा कि कांग्रेस ने संवैधानिक नियमों के तहत आपातकाल लागू किया, विपक्ष के नेताओं को जेल में ठूस दिया, संविधान में संशोधन किया लेकिन वहीं कांग्रेस संविधान की दुहाई दे रही है। संविधान बनाने में कांग्रेस के श्रेय लेने पर अरुण जेटली ने कहा कि वो संविधान सभा बनने के चार पांच साल बाद पैदा हुए थे लेकिन श्यामा प्रसाद मुखर्जी संविधान निर्माण की प्रक्रिया में शामिल थे।
जनमत का करें सम्मान
अप्रासंगिक मुद्दों को उठा कर देश की एकता और अखंडता के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। पिछले 65 सालों में बहुत कुछ बदला है। कुछ बुनियादी परिवर्तन हुए जिसे विपक्ष को खुले मन से स्वीकार करने की जरुरत है। देश के सामाजिक ताने बाने को किसी तरह का खतरा नहीं है। सरकार सर्व धर्म संभाव में यकीन करती है, कुछ लोगों की तरफ से व्यर्थ में चिंता जताई जा रही है कि सामाजिक समरसता में खटास पैदा हो रही है।
उन्होंने कहा कि जीने का अधिकार ही सबसे बड़ा अधिकार है। कोई भी शख्स टेलीविजन पर आता है एक बयान देता है और वो असहिष्णुता का मुद्दा बन जाता है। संविधान का अनुच्छेद 25 धार्मिक स्वतंत्रता की इजाजत देता है। हम इसका किस तरह से व्याख्या करते हैं ये बहस का मुद्दा है।
धर्मतंत्र के खिलाफ थे अंबेडकर
अंबेडकर ने ना तो धर्म के पक्ष में ना ही धर्म के विरोध की बात कही थी। उन्होंने देश को संविधान दिया, जिसके आदर्शों पर हम लोगों को चलने की जरुरत है। उन्होंने विपक्ष से सवाल करते हुए पूछा कि 2015 में डॉ अंबेडकर संविधान बनाते तो अनुच्छेद 24 ,25 44 और 48 पर आप लोगों का रुख क्या होता। डॉ अंबेडकर ने धर्मतंत्र की संकल्पना को सिरे से खारिज कर दिया था। धर्म के आधार पर राज्य किसी भी नागरिक से भेदभाव नहीं करेगा।
भारत की संप्रभुता पर खतरे के मुद्दे पर राज्यसभा में हंगामा हुआ कांग्रेस के आनंद शर्मा ने पूछा कि वित्त मंत्री किसकी तरफ इशारा कर रहे हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि वो किसी पार्टी की तरफ नहीं बल्कि आतंकियों की तरफ इशारा कर रहे हैं।
न्यायपालिका की स्वतंत्रता संविधान के मूल ढांचे से जुड़ी है। सरकार ने कभी भी न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमला करने की कोशिश नहीं की है।
आरक्षण पर पुनर्विचार नहीं
लोकसभा में संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि पारदर्शी तरीके से सरकार काम कर रही है। आरक्षण के मुद्दे पर पुनर्विचार करने की बात ही नहीं है। सरकार सभी मुद्दों पर बहस के लिए तैयार है,कोई भी तथ्य छुपाने का सवाल ही नहीं है।वेंकैया नायडू ने कहा कि कांग्रेस को जनभावना का सम्मान करना चाहिए। यही संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।उन्होंने कहा कि देश में सिर्फ राजनीतिक लोकतंत्र नहीं बल्कि सामाजिक लोकतंत्र की जरुरत है।
सरकार की कथनी और करनी में अंतर
कांग्रेस की तरफ से बोलते हुए गुलाम नबी आजाद ने कहा कि केंद्र सरकार की कथनी और करनी में अंतर है। सरकार नेहरू,पटेल और अंबेडकर के नाम पर लोगों में फूट डालने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि असहिष्णुता की शुरुआत ऊपर से होती है, सरकार संविधान दिवस पर बहस कर रही है लेकिन पंडित नेहरू के योगदान का जिक्र करने से भी कतरा रही है।
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