सरकार ने प्रवर्तन निदेशालय को NIA सहित 15 और एजेंसियों के साथ अपराधियों की जानकारी साझा करने की दी अनुमति
सरकार ने प्रवर्तन निदेशालय को SFIO CCI और NIA सहित 15 और एजेंसियों के साथ आर्थिक अपराधियों के बारे में जानकारी साझा करने की अनुमति दी है यह एक ऐसा कदम है जो कानून तोड़ने वालों को पकड़ने में तेजी लाएगा।
नई दिल्ली, पीटीआइ। प्रवर्तन निदेशालय (ED) अब कई अन्य सरकारी एजेंसियों के साथ आर्थिक अपराधियों की जानकारी शेयर कर सकेगी। सरकार ने ED को इसकी अनुमति दे दी है। बता दें कि सरकार ने प्रवर्तन निदेशालय को SFIO, CCI और NIA सहित 15 और एजेंसियों के साथ आर्थिक अपराधियों के बारे में जानकारी साझा करने की अनुमति दी है, यह एक ऐसा कदम है जो कानून तोड़ने वालों को पकड़ने में तेजी लाएगा। वित्त मंत्रालय ने इसे 22 नवंबर को प्रिवेंशन आफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), 2002 में बदलावों के तहत अधिसूचित किया।
अब 25 एजेंसियों को मिलेगी जानकारियां
जारी अधिसूचना के मुताबिक, प्रवर्तन निदेशालय अब कुल 25 एजेंसियों के साथ डेटा साझा करने में सक्षम होगा, जिसमें 10 एजेंसियों को पहले ही शामिल किया जा चुका है। बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय मुख्य रूप से मनी लान्ड्रिंग और विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन के मामलों से निपटता है।
इन एजेंसियों को सूची में किया गया है शामिल
जानकारी के अनुसार, इन 15 एजेंसियों में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA), गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (SFIO), राज्य पुलिस विभाग, विभिन्न अधिनियमों के तहत नियामक, विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT), विदेश मंत्रालय और भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) शामिल हैं। इसके साथ ही नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड, सेंट्रल विजिलेंस कमीशन (CVC), डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी, नेशनल टेक्निकल रिसर्च आर्गनाइजेशन, मिलिट्री इंटेलिजेंस, सेंट्रल सिविल सर्विसेज रूल्स के तहत इंक्वायरी अथारिटी और वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो को भी इस सूची में जोड़ा गया है।
पहले इन 10 एजेंसियों को मिलती थी सूचनाएं
इससे पहले ED को सीबीआई, आरबीआई, सेबी, आईआरडीएआई, इंटेलिजेंस ब्यूरो और फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (FIU) सहित केवल 10 एजेंसियों के साथ डेटा साझा करने की अनुमति थी। एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के सीनियर पार्टनर रजत मोहन ने कहा कि पीएमएलए के तहत अधिकारी अब 25 एजेंसियों के साथ गोपनीय सूचना और सामग्री साझा करने के लिए अधिकृत हैं।
ये भी पढ़ें: बाजार में क्रेडिट कार्ड डेटा से सौ गुना महंगा बिकता है हेल्थ डेटा