अब सीएनजी से चलेंगे जेनरेटर, घटेगा प्रदूषण
इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड का ऑस्ट्रिया की कंपनी से करार, एनसीआर की आबोहवा सुधारने की कवायद...250 सोसायटी पहले चरण में चुनी गईं, नोएडा से होगी शुरुआत
नई दिल्ली (संजीव गुप्ता)। कमर्शियल वाहनों के बाद अब जल्द ही दिल्ली-एनसीआर में जेनरेटर सेट भी सीएनजी से चलते नजर आएंगे। इससे वायु प्रदूषण में 30 से 70 फीसद तक सुधार की संभावना है। इसके लिए दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा और ग्रेटर नोएडा की अधिकृत सीएनजी (कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस) वितरक इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (आइजीएल) ने ऑस्ट्रिया की कंपनी से तकनीकी स्तर पर करार किया है। दिल्ली-एनसीआर में इस तरह का यह पहला प्रयोग होगा। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में इसकी शुरुआत जुलाई में नोएडा सेक्टर 143 बी की विक्ट्री सोसायटी से होगी। पहले चरण में आइजीएल ने दिल्ली- एनसीआर की 250 आरडब्ल्यूए सोसायटीज से संपर्क साधा है। इसके बाद अगस्त से मोबाइल टावरों में लगे जेनरेटर सेट भी इस योजना में शामिल कर लिए जाएंगे।
डीजल से सीएनजी में ऐसे होगा बदलाव : जेनरेटर सेट को डीजल से सीएनजी में कन्वर्ट करने के लिए एक किट आती है, जिसकी मदद से मौजूदा डीजल चालित जेनरेटरों में इंजेक्टर लगाए जाएंगे। इंजेक्टर के जरिये फिलहाल जेनरेटर सेट में 70 फीसद डीजल और 30 फीसद सीएनजी रखा जाएगा। बाद में धीरे-धीरे सीएनजी को 50 और फिर 70 फीसद तक ले जाया जाएगा। डीजल जितना घटता जाएगा, वायु प्रदूषण उतना ही कम होता जाएगा।
डीजल से नुकसान : डीजल चालित जेनरेटर से निकलने वाले धुएं में कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और मिथेन जैसी हानिकारक गैसें होती हैं। ये न केवल आबोहवा को जहरीला बनाती हैं बल्कि श्वास रोगों को भी जन्म देती हैं।
बड़ी सोसायटी व मोबाइल टावर में लगे हैं जेनरेटर
पावर बैकअप के लिए एनसीआर की हर बड़ी रेजिडेंशियल सोसायटी में जेनरेटर सेट लगे हुए हैं। इसके अलावा सभी मोबाइल टावर भी जेनरेटर सेट से कनेक्टेड होते हैं। सीएनजी में कन्वर्ट होने के बाद इन जेनरेटरों से उत्पन्न बिजली की लागत में भी दो रुपये प्रति यूनिट तक की बचत भी होगी।
जब तक आबोहवा में डीजल का धुआं बरकरार रहेगा, पूर्णतया सुधार संभव ही नहीं है। एनसीआर में ज्यादातर कॉमर्शियल वाहन अब भले ही सीएनजी से चल रहे हों, लेकिन डीजल चालित जेनरेटर सेट की संख्या भी कम नहीं है। पावर बैकअप के रूप में हर बड़ी जगह बडे़-बडे़ जेनरेटर सेट लगे होते हैं। इसीलिए इन्हें भी सीएनजी में कन्वर्ट करने की पहल की जा रही है। आस्ट्रिया के तकनीकी विशेषज्ञों की टीम के साथ पायलट प्रोजेक्ट जुलाई में शुरू कर दिया जाएगा। पहला लक्ष्य रिहायशी सोसायटीज और इसके बाद मोबाइल टावर होंगे।- प्रवीण कुमार पांडेय, उपाध्यक्ष, आइजीएल
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