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गंगा को निर्मल बनाने को आस्ट्रेलिया ने बढ़ाया मदद का हाथ

गंगा को अविरल और निर्मल बनाने के लिए आस्ट्रेलिया ने मदद का हाथ बढ़ाया है। आस्ट्रेलिया ने अपनी मरे-डार्लिग नदियों की सफाई के अनुभवों के जरिये गंगा के संरक्षण में मदद की पेशकश की है। भारत में जिस तरह गंगा-यमुना महत्वपूर्ण हैं वैसे ही आस्ट्रेलिया में मरे-डार्लिग की भी अहमियत है। आस्ट्रेलिया के

By Edited By: Published: Thu, 31 Jul 2014 10:31 PM (IST)Updated: Thu, 31 Jul 2014 10:31 PM (IST)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। गंगा को अविरल और निर्मल बनाने के लिए आस्ट्रेलिया ने मदद का हाथ बढ़ाया है। आस्ट्रेलिया ने अपनी मरे-डार्लिग नदियों की सफाई के अनुभवों के जरिये गंगा के संरक्षण में मदद की पेशकश की है। भारत में जिस तरह गंगा-यमुना महत्वपूर्ण हैं वैसे ही आस्ट्रेलिया में मरे-डार्लिग की भी अहमियत है।

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आस्ट्रेलिया के कॉमनवेल्थ वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंसाधन संगठन के विशेषज्ञ पीटर वालब्रिंक ने बताया कि मरे-डार्लिग बेसिन में तीन चुनौतियां-जनसंख्या का दबाव, जल की कमी और जलवायु परिवर्तन और जल की बढ़ती मांग और उपभोग प्रमुख थीं। इन चुनौतियों को हल करने के लिए चार सूत्रीय रणनीति बनाई गई। मरे-डार्लिग को अविरल और निर्मल बनाने के लिए नीतियां,कानून, संस्थाएं और कार्यक्रम बनाए। इसके बाद मरे-डार्लिग की सफाई संभव हुई।

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के प्रमुख राजीव रंजन मिश्रा ने इस मौके पर कहा, गंगा और मरे-डार्लिग बेसिन में कुछ समानताएं हैं लेकिन गंगा पर जनसंख्या का अधिक दबाव है। सरकार ने गंगा के लिए अलग मंत्रालय बनाया है और अब विभिन्न मंत्रालयों के तालमेल से समन्वित गंगा संरक्षण मिशन तैयार किया जा रहा है।

गंगा पर सात आइआइटी तथा अन्य शीर्ष संस्थानों के कंसोर्टियम के प्रमुख और आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर विनोद तारे ने कहा, मरे-डार्लिग का अनुभव बताता है कि आस्ट्रेलिया ने यह कार्यक्रम लगभग 32 साल पहले शुरु किया था। इससे स्पष्ट है कि नदियों की सफाई में लंबा वक्त लगता है। इसलिए सरकार को गंगा की सफाई के ऐसे लक्ष्य तय करने चाहिए जो वास्तविकता के करीब हों। विश्व बैंक के विशेषज्ञ बिल यंग ने भी गंगा और मरे-डार्लिग बेसिन में कई समानताएं बतायीं। उन्होंने कहा,गंगा को अविरल बनाने के काम से समाज को जोड़ना बेहद जरूरी है। मरे-डार्लिग और गंगा की लंबाई लगभग ढाई हजार किलोमीटर है।

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