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रेलवे टिकट कन्फर्म कराने के बहाने लूटने वाला गिरोह दबोचा

बिहार जाने वाले यात्रियों के रेल टिकट कन्फर्म कराने का झांसा देकर लूटपाट करने वाले गिरोह को उत्तर पश्चिम जिला पुलिस ने दबोच लिया है। पकड़े गए आरोपियों में सरगना रमेश महतो, राम श्रेष्ठ तथा रुदाली मुखिया के अलावा एक नाबालिग भी शामिल है। उनके कब्जे से लूट के 30 हजार रुपये,

By Edited By: Published: Tue, 11 Feb 2014 09:21 AM (IST)Updated: Tue, 11 Feb 2014 10:13 AM (IST)

नई दिल्ली [राज्य ब्यूरो]। बिहार जाने वाले यात्रियों के रेल टिकट कन्फर्म कराने का झांसा देकर लूटपाट करने वाले गिरोह को उत्तर पश्चिम जिला पुलिस ने दबोच लिया है। पकड़े गए आरोपियों में सरगना रमेश महतो, राम श्रेष्ठ तथा रुदाली मुखिया के अलावा एक नाबालिग भी शामिल है। उनके कब्जे से लूट के 30 हजार रुपये, 98 मोबाइल फोन, 11 एटीएम कार्ड, लैपटॉप, घड़ी आदि कीमती सामान बरामद हुए हैं।

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पुलिस उपायुक्त एन जी संबंधन के अनुसार सभी आरोपी मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर के निवासी हैं। रमेश महतो गाजियाबाद के लोनी क्षेत्र में रहता है। गत 6 फरवरी को भारत नगर थाना पुलिस को लूटपाट की शिकायत मिली थी। रिक्शा चालक बिहार के बांका जिला निवासी कैलाश यादव साथियों के साथ घर जा रहे थे। आजादपुर मेट्रो स्टेशन पर एक युवक ने उनसे खुद भी पूर्वा एक्सप्रेस से बिहार जाने की बात कही। युवक ने अपने साले को टिकट चेकर बताया। उसने कहा कि वह टिकट कन्फर्म करा देगा। उसकी बातों में आकर सभी कन्हैया नगर मेट्रो स्टेशन से उसके साथ निमड़ी इलाके में गए। वहां खुद को रेलवे स्टॉफ बताने वाले एक व्यक्ति ने सभी से उनके पास मौजूद रकम का ब्यौरा मांगा। उसने दलील दी कि नई व्यवस्था के तहत यात्रियों को नगदी के बारे में जानकारी देना जरूरी है। इसके बाद कैलाश व उसके साथियों से चालीस हजार रुपये व मोबाइल फोन लूटकर बदमाश भाग गए।

पुलिस ने मेट्रो स्टेशन की सीसीटीवी फुटेज तथा फोन की लोकेशन के आधार पर रविवार को वजीरपुर जेजे कॉलोनी इलाके से नाबालिग समेत तीन लोगों को पकड़ा। इसके बाद रमेश महतो पुलिस के हत्थे चढ़ा। नाबालिग को बाल सुधार गृह भेज दिया गया है। जांच में आरोपियों द्वारा लूटपाट करने के नौ मामलों का खुलासा हुआ है। यात्रियों से लूटे गए करीब साढ़े चार लाख रुपये विभिन्न खातों में जमा कराने की जानकारी सामने आई है। अधिकारियों के अनुसार गिरोह रेलवे स्टेशन जाने वाले यात्रियों की तलाश में घूमता था। वह लोग फोन पर संपर्क में रहते थे। शिकार फंसने पर सभी निर्धारित स्थान पर मिलते थे। रुदाली को रेलवे स्टॉफ बताकर शिकार से मिलवाया जाता था।

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