आइपीएल स्पॉट फिक्सिंग: श्रीनिवासन का खेल खत्म
क्रिकेट को कारोबार बना देने वाले एन श्रीनिवासन के चंगुल से भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) को मुक्त कराते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उनके अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने पर रोक लगाने का फैसला सुनाया।
जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। क्रिकेट को कारोबार बना देने वाले एन श्रीनिवासन के चंगुल से भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) को मुक्त कराते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उनके अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने पर रोक लगाने का फैसला सुनाया। शीर्ष कोर्ट ने आइपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में श्रीनिवासन को संलिप्त तो नहीं माना, लेकिन चेन्नई सुपरकिंग्स का मालिक होने के साथ बीसीसीआइ अध्यक्ष पद पर बने रहने को 'हितों के टकराव' का मामला माना। हालांकि श्रीनिवासन किसी भी तरह की कानूनी सजा से तो बच निकले, लेकिन अब भारतीय क्रिकेट के साथ-साथ विश्व क्रिकेट पर राज करने की उनकी महत्वाकांक्षा पूरी नहीं होगी। शीर्ष अदालत ने छह सप्ताह में बोर्ड का चुनाव कराने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मयप्पन और राजस्थान रॉयल्स के मालिक राज कुंद्रा को सट्टेबाजी में शामिल बताया और उन्हें दोषी करार दिया। इसके बाद से चेन्नई सुपरकिंग्स और राजस्थान रॉयल्स पर गाज गिरना तय हो गया है। इस पूरे मामले को लेकर तीन सदस्यीय कमेटी बनाई है, जो दोषियों पर कार्रवाई को लेकर विचार करेगी।
कोर्ट ने कहा है कि श्रीनिवासन बीसीसीआइ अध्यक्ष और चेन्नई सुपरकिंग्स (सीएसके) के मालिक एक साथ नहीं रह सकते हैं। उन्हें बीसीसीआइ या सीएसके में से किसी एक को चुनना होगा। हालांकि, इससे पहले कोर्ट ने कहा कि श्रीनिवासन पर मामले को दबाने के आरोप साबित नहीं हुए हैं। मयप्पन को बचाने केआरोपों पर श्रीनिवासन को एक तरह से क्लीनचिट मिल गई है। कोर्ट ने कहा कि ज्यादा से ज्यादा श्रीनिवासन पर मामले को दबाने का शक है।
कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि श्रीनिवासन का टीम मालिक होना सारे विवादों की जड़ है। किसी भी बीसीसीआइ अधिकारी का व्यावसायिक हित नहीं होना चाहिए। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआइ के नियमों में बदलाव को खारिज कर दिया। अदालत ने बीसीसीआइ के विवादित नियम 6.2.4 क्लॉज को गलत ठहराया। इस नियम के तहत श्रीनिवासन को आइपीएल टीम खरीदने की इजाजत दी गई थी। कोर्ट ने बीसीसीआइ के नियमों में संशोधन को 'विलेन' बताया।
बीसीसीआइ निजी संस्था नहीं :
कोर्ट ने कहा कि बीसीसीआइ निजी संस्था नहीं है। सरकार ने उसे भारत के लिए टीम चुनने और प्रबंधन का हक दिया है। इसके खिलाड़ी देश के आइकॉन हैं। सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न मिला। अन्य कई खिलाडि़यों को नागरिक सम्मान मिले हैं। सार्वजनिक कामकाज से जुड़े होने के कारण बोर्ड की कानूनी समीक्षा हो सकती है।
धौनी सहित सीएसके, राजस्थान रॉयल्स आइपीएल से हो सकते हैं बाहर
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने आइपीएल फ्रेंचाइजी राजस्थान रॉयल्स के मालिक राज कुंद्रा और चेन्न्ई सुपरकिंग्स (सीएसके) के गुरुनाथ मय्यपन को आइपीएल-6 में सट्टेबाजी में दोषी माना है। इसके बाद से माना जा रहा है कि सीएसके और राजस्थान रॉयल्स की टीमें आइपीएल से बाहर हो जाएंगी। बीसीसीआइ के वर्तमान नियमों में ये साफ है कि किसी भी टीम से जुड़ा व्यक्ति यदि किसी अवैध गतिविधि में संलिप्त पाया जाता है, तो उस फ्रेंचाइजी को रद किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के बाद धौनी भी आइपीएल से बाहर हो गए हैं। क्योंकि तय नियमों के अनुसार आइपीएल के इस सत्र में धौनी किसी भी टीम से नहीं जुड़ सकते।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनायी गयी तीन सदस्यीय कमेटी में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस लोढ़ा, जस्टिस अशोक भान और जस्टिस आरवी रविंद्रन हैं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने कार्रवाई के लिए अधिकृत किया है। यह कमेटी ही चेन्नई सुपर किंग्स व राजस्थान रॉयल्स के भविष्य का फैसला करेगी।
इंडिया सीमेंट्स के शेयरों में उछाल :
नई दिल्ली । चेन्नई सुपर किंग्स के मालिक एन श्रीनिवासन की अगुआई वाली कंपनी इंडिया सीमेंट्स के शेयरों में 8.78 फीसद का तगड़ा उछाल आया। इस दिन कंपनी का शेयर 111.45 रुपये पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान यह 115.80 रुपये प्रति शेयर के ऊंचे स्तर तक चला गया था।
फैसले के सात प्रमुख आधार..
1. बीसीसीआइ के निर्वासित अध्यक्ष श्रीनिवासन के खिलाफ आरोपों पर पर्दा डालने के आरोप साबित नहीं हुए।
2. श्रीनिवासन को आइपीएल टीम का स्वामित्व लेने की अनुमति देने के लिए बीसीसीआइ के नियमों में संशोधन सही नहीं था।
3. हितों के टकराव ने बहुत भ्रम की स्थिति पैदा की।
4. राजस्थान रॉयल्स के मालिक राज कुंद्रा और श्रीनिवासन के दामाद गुरनाथ मयप्पन की सट्टेबाजी में भूमिका साबित हुई।
5. बीसीसीआइ ने आइपीएल स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी कांड की जांच के लिए निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया।
6. क्रिकेट में किसी भी प्रकार का व्यावसायिक हित रखने वाले श्रीनिवासन या कोई अन्य प्रशासक इस तरह के हित रहने तक बीसीसीआइ का चुनाव नहीं लड़ सकते।
7. कोर्ट ने मयप्पन और कुंद्रा के खिलाफ सजा तय करने के लिए पूर्व प्रधान न्यायाधीश आरएम लोढा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी बनाई।