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क्या मुख्यमंत्री का ध्यान आकृष्‍ट करना चाहता था गजेन्द्र?

आम आदमी पार्टी (आप) की जंतर मंतर पर बुधवार हुई रैली के दौरान पेड़ पर चढ़कर फांसी लगाने वाला किसान गजेन्द्र सिंह क्या मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करना चाहता था? क्या वह केजरीवाल की नजर में आना चाहता था? इस पूरे मामले की जांच दिल्ली पुलिस

By manoj yadavEdited By: Published: Thu, 23 Apr 2015 03:10 PM (IST)Updated: Thu, 23 Apr 2015 04:59 PM (IST)

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (आप) की जंतर-मंतर पर बुधवार हुई रैली के दौरान पेड़ पर चढ़कर फांसी लगाने वाला किसान गजेन्द्र सिंह क्या मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करना चाहता था? क्या वह केजरीवाल की नजर में आना चाहता था?

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इस पूरे मामले की जांच दिल्ली पुलिस कर रही है। ऐसे संकेत हैं कि रैली में मौजूद मुख्यमंत्री केजरीवाल सहित आप के तमाम बड़े नेताओं से पूछताछ भी होगी। इस जांच और पूछताछ की हकीकत में चाहे जो भी बात सामने आए लेकिन इस पूरे घटनाक्रम के बाद शहर के सियासी-गलियारों सहित हर नुक्कड़, हर चौराहे पर यही चर्चा हो रही है कहीं ऐसा तो नहीं कि मुख्यमंत्री और पार्टी के बड़े नेताओं के सामने खुद को समर्पित कार्यकर्ता साबित करने के चक्कर में उसकी जान चली गई।

इस मामले को लेकर कहा यह जा रहा है कि यदि गजेन्द्र को आत्महत्या ही करनी थी तो वह झाड़ू लेकर क्यों पेड़ पर चढ़ा। झाड़ू आम आदमी पार्टी का चुनाव निशान है। चर्चा यह भी की जा रही है कि जिस वक्त वह पेड़ पर चढ़ रहा था, उस वक्त वह मुस्कुरा रहा था। जो फोटोग्राफ आई हैं उनको देखकर पहली नजर में ऐसा ही अहसास होता है कि वह नीचे बैठे लोगों का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करना चाहता था। वह ऊपर से नारेबाजी भी कर रहा था। इन तमाम तथ्यों से ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि वह पेड़ पर चढ़कर नीचे बैठे मुख्यमंत्री और अन्य नेताओं का ध्यान अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रहा था।

यदि गजेन्द्र की फोटो को ध्यान से देखा जाए तो उसने गले में फंदा लगाने के साथ-साथ अपने दोनों हाथ से पड़े की डालियों को पकड़ रखा है। यदि उसे मरना था तो वह पेड़ की डाल को कस कर क्यों पकड़ता। बहरहाल, इस पूरे मामले की जांच जारी है। आम आदमी पार्टी उसको अपना सदस्य तक मानने से इंकार कर रही है तो दूसरी ओर कहा जा रहा है कि उसकी उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से बातचीत हुई थी। बहरहाल, अब जांच हो रही है और उम्मीद की जानी चाहिए कि सबकुछ दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।

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