राज्यपालों को लेकर मचा घमासान, नई नियुक्ति की कवायद
केंद्र में सत्ता परिवर्त्तन के बाद राजभवनों में बदलाव को लेकर राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है। कांग्रेस के शासनकाल में पदस्थ लगभग आधा दर्जन राज्यपालों को हटाने और उनकी जगह तत्काल नए राज्यपाल नियुक्त करने की कवायद के बीच कांग्रेस ने बदले की भावना का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार विकास के मुद्दों से भटकाने
नई दिल्ली, जाब्यू। केंद्र में सत्ता परिवर्त्तन के बाद राजभवनों में बदलाव को लेकर राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है। कांग्रेस के शासनकाल में पदस्थ लगभग आधा दर्जन राज्यपालों को हटाने और उनकी जगह तत्काल नए राज्यपाल नियुक्त करने की कवायद के बीच कांग्रेस ने बदले की भावना का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार विकास के मुद्दों से भटकाने में लग गई है। भाजपा ने कांग्रेस को पुराने दिनों की याद दिलाते हुए परंपरा के अनुसार कार्रवाई की बात कह दी। माना जा रहा है कि है कि अगले कुछ दिन में उत्तर प्रदेश समेत अन्य कई राज्यों में नए राच्यपाल नियुक्त होंगे। बहरहाल, कांग्रेस भी इसी बहाने विपक्षी दलों को साथ खड़ा करने का मौका नहीं चूकना चाहती है।
केंद्र में सरकार बदलने के साथ ही राजभवनों में बदलाव की परंपरा लंबी रही है। खुद कांग्रेस भी इस सच्चाई को लेकर असहज है कि 2004 में सत्ता में आते ही संप्रग ने भाजपा शासन में बनाए गए चार राज्यपालों को एक साथ हटा दिया था। तत्कालीन गृह मंत्री और वर्तमान में पंजाब के राज्यपाल यह कहने से भी नहीं चूके थे कि उक्त राच्यपाल संघ की विचारधारा वाले हैं। उन राज्यपालों में उत्तर प्रदेश के विष्णुकांत शास्त्री, गोवा के केदारनाथ साहनी, गुजरात के कैलाशपति मिश्र और हरियाणा के बाबू परमानंद शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार के इस कदम से असहमति जताई थी। लिहाजा, कांग्रेस नेतृत्व नैतिक दबाव में तो है, लेकिन इसे तूल देकर विवाद खड़ा करने मे राजनीतिक हित देख रही है।
दरअसल, पार्टी को लगता है कि यह एक ऐसा मौका होगा, जिसमें सरकार के खिलाफ पूरा विपक्ष एकजुट दिखेगा। शायद इसी रणनीति के चलते जहां यूपी के राच्य बीएल जोशी ने तो इस्तीफा दे दिया, लेकिन विभिन्न राज्यों में बतौर राच्यपाल पदस्थ कांग्रेस के नेता इस्तीफे से इन्कार कर रहे हैं। बहरहाल, यह तय है कि लगभग डेढ़ दर्जन नए राच्यपाल नियुक्त होंगे। बताते हैं कि कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी, वीके मल्होत्रा, केसरीनाथ त्रिपाठी, बीडी टंडन, कैलाश जोशी, यशवंत सिन्हा, जसवंत सिंह जैसे नाम भावी राज्यपालों की सूची में आगे हैं। भाजपा के नेता यह याद दिलाने से नहीं चूक रहे हैं कि कांग्रेस अपने शासनकाल में यही करती रही है। खुद कांग्रेस प्रवक्ता संदीप दीक्षित ने भी माना है कि पहले की सरकारों में ऐसा होता रहा है।
संवैधानिक व्यवस्था :
संविधान के भाग छह में राच्यपाल से संबंधित प्रावधान हैं -
अनुच्छेद 153 : प्रत्येक राच्य के लिए एक राच्यपाल होगा।
अनुच्छेद 155 : राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति अपने हस्ताक्षर और मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा करेगा।
अनुच्छेद 156 : राज्यपाल की पद अवधि से संबंधित है। इसके तहत राज्यपाल, राष्ट्रपति के प्रसादपर्यत पद धारण करेगा।
राज्यपाल राष्ट्रपति को संबोधित अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा पद त्याग सकेगा।
इस अनुच्छेद के पूर्वगामी उपबंधों के अधीन रहते हुए वह अपने पदग्रहण की तारीख से पांच वर्ष की अवधि तक पद धारण करेगा।
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