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राफेल डील पर भारत के बैंक गारंटी प्रस्ताव को फ्रांस ने ठुकराया

राफेल डील को लेकर अभी भी सस्पेंस बरकरार है। बताया जा रहा है कि फ्रांस ने भारत सरकार के बैंक गारंटी प्रस्ताव को ठुकरा दिया है।

By Lalit RaiEdited By: Published: Wed, 25 May 2016 11:09 AM (IST)Updated: Wed, 25 May 2016 01:31 PM (IST)

नई दिल्ली। राफेल फाइटर जेट पर डील पर भारत के बैंक गारंटी के प्रस्ताव को फ्रांस ने ठुकरा दिया है। हालांकि फ्रांस के इस कदम पर भारत सरकार ने अभी तक जवाब नहीं दिया है। बताया जा रहा है कि बैंक गारंटी के मामले में फ्रांस के रक्षा मंत्रालय की तरफ से भारत को एक पत्र 1 अप्रैल को भेजा गया था। खत में इस बात का जिक्र है कि 36 राफेल विमानों के सौदे के लिए फ्रांस बेस्ट ऑफर पेश कर चुका है।

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राफेल पर फ्रांस ने पेश की अब तक सबसे कम कीमत

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक फ्रांस ने राफेल सौदे के लिए शुरुआत में 10.5 बिलियन यूरो कीमत लगाई थी। लेकिन भारत सरकार की तरफ से कीमतों में 30 फीसद कटौती की मांग की गयी। सूत्रों के मुताबिक रॉफेल सौदे की मौजूदा कीमत करीब 7.8 बिलियन यूरो है। भारत को खत लिखने के पहले फ्रांस ने बैंक गारंटी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था और भारतीय पक्ष से कंफर्ट लेटर की बात कही।

कानून मंत्रालय ने फ्रांस द्वारा भारत के बैंक गारंटी को ठुकराए जाने पर सवाल भी उठाया था। हालांकि रक्षा मंत्रालय ने दो सरकारों के बीच हो रहे समझौते पर बोलने से इंकार कर दिया। सूत्रों का कहना है कि फ्रांस द्वारा दिए गए दोनों प्रस्तावों में बहुत अंतर है। पहले प्रस्ताव में जहां 10 साल प्रोडक्ट सपोर्ट सर्विस शामिल था। दूसरे प्रस्ताव में इसे घटाकर 5 साल कर दिया गया। दूसरे प्रस्ताव में इन विमानों के लिए आधारभूत ढांचे पर आने वाले खर्च का भी जिक्र नहीं है। भारत इन विमानों के लिए एक बेस पूर्व में चीन को ध्यान में रखकर बनाना चाहता है। जबकि दूसरा बेस उत्तर में बनाना चाहता है।

सूत्रों के मुताबिक डील पक्की होने पर भारत को पहले कुल कीमत का 15 फीसद अदा करना होगा। डील पक्की होने के बाद पहला एयरक्राफ्ट तीन साल के अंदर मिलेगा। जबकि शेष राफेल विमान सात साल के अंदर मिलेंगे। इसके अलावा विमानों के कंफिगरेशन का मामला भी शामिल है। फ्रांस इसके लिए भारत को सात से आठ फीसद की छूट देगा। भारतीय वायुसेना ने रॉफेल की डिजाइन में बदलाव का मामला भी उठाया है ताकि इजरायली कैमरों को उस पर लगाया जा सके।

डील की कीमतों को लेकर अड़चने इसलिए भी बढ़ गयी है। क्योंकि फ्रांस ने इजिप्ट और कतर के साथ भी समझौता किया है। बताया जा रहा है कि अब फ्रांस अपने नए प्रस्तावों से और पीछे नहीं जा सकेगा। इसके अलावा अगर ये डील आने वाले समय में नहीं हो पाती है तो मुश्किलें और बढ़ेंगी। इस डील के पीछे भारत में फ्रांस के राजदूत फ्रैकोइ रिचर अगले महीने रिटायर होने वाले हैं। किसी दूसरे राजदूत की नियुक्ति से उसे डील को समझने में समय लगेगा। इसके अलावा इस साल के अंत में चुनाव भी होने वाले हैं।

जानिए क्या है राफेल विमान की खासियत


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